💬Thought for the Day💬

"🍃🌾🌾 "Your competitors can copy your Work, Style & Procedure. But No one can copy your Passion, Sincerity & Honesty. If you hold on to them firmly, The world is yours..!! Follow your Principles." 🍃💫🍃💫🍃💫🍃💫🍃💫🍃

Netaji Subhash Chandra Bose


विश्व इतिहास में 23 जनवरी 1897 (23rd January 1897) का दिन स्वर्णाक्षरों में अंकित है। इस दिन स्वतंत्रता आंदोलन के महानायक सुभाषचंद्र बोस (Subhash Chandra Bose) का जन्म कटक के प्रसिद्ध वकील जानकीनाथ तथा प्रभावती देवी के यहां हुआ था। उनके पिता ने अंगरेजों के दमनचक्र के विरोध में 'रायबहादुर' की उपाधि लौटा दी। इससे सुभाष के मन में अंगरेजों के प्रति कटुता ने घर कर लिया। 

अब सुभाष अंगरेजों को भारत से खदेड़ने व भारत को स्वतंत्र कराने का आत्मसंकल्प ले, चल पड़े राष्ट्रकर्म की राह पर। आईसीएस की परीक्षा में उत्तीर्ण होने के बाद सुभाष ने आईसीएस से इस्तीफा दिया। इस बात पर उनके पिता ने उनका मनोबल बढ़ाते हुए कहा- 'जब तुमने देशसेवा का व्रत ले ही लिया है, तो कभी इस पथ से विचलित मत होना।' 
 
दिसंबर 1927 में कांग्रेस पार्टी (Congress) के राष्ट्रीय महासचिव (National secretary General) के बाद 1938 में उन्हें कांग्रेस का राष्ट्रीय अध्यक्ष (National President) चुना गया। उन्होंने कहा था- मेरी यह कामना है कि महात्मा गांधी (Mahatma Gandhi) के नेतृत्व में ही हमें स्वाधीनता की लड़ाई लड़ना है। हमारी लड़ाई केवल ब्रिटिश साम्राज्यवाद से नहीं, विश्व साम्राज्यवाद से है। धीरे-धीरे कांग्रेस से सुभाष का मोह भंग होने लगा। 
16 मार्च 1939 को सुभाष ने अपने पद से इस्तीफा दे दिया। सुभाष ने आजादी के आंदोलन को एक नई राह देते हुए युवाओं को संगठित करने का प्रयास पूरी निष्ठा से शुरू कर दिया। इसकी शुरुआत 4 जुलाई 1943 को सिंगापुर में 'भारतीय स्वाधीनता सम्मेलन' के साथ हुई। 
5 जुलाई 1943 को 'आजाद हिन्द फौज' का विधिवत गठन हुआ। 21 अक्टूबर 1943 को एशिया के विभिन्न देशों में रहने वाले भारतीयों का सम्मेलन कर उसमें अस्थायी स्वतंत्र भारत सरकार की स्थापना कर नेताजी ने आजादी प्राप्त करने के संकल्प को साकार किया।
12 सितंबर 1944 को रंगून के जुबली हॉल में शहीद यतीन्द्र दास के स्मृति दिवस पर नेताजी (Subhash Chandra Bose) ने अत्यंत मार्मिक भाषण देते हुए कहा- 'अब हमारी आजादी निश्चित है, परंतु आजादी बलिदान मांगती है। आप मुझे खून दो, मैं आपको आजादी दूंगा।' यही देश के नौजवानों में प्राण फूंकने वाला वाक्य था, जो भारत ही नहीं विश्व के इतिहास में स्वर्णाक्षरों में अंकित है। 
16 अगस्त 1945 को टोक्यो के लिए निकलने पर ताइहोकु हवाई अड्डे पर नेताजी का विमान दुर्घटनाग्रस्त हो गया और 18 अगस्त (18 August 1945) को स्वतंत्र भारत की अमरता का जयघोष करने वाला, भारत मां के दुलारे नेताजी सुभाष चंद्र बोस सदा के लिए, राष्ट्रप्रेम की दिव्य ज्योति जलाकर अमर हो गए। 

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Prayas - january 2023

                                                      

Year - 2                          Month - January 2023                              Issue - 38

प्यारे बच्चों,

वैसे तो हर कार्य का अपना महत्व होता है लेकिन जिस काम को आसानी से किया जा सकता है उसके लिए कठिन मेहनत करना भी अपनी प्रतिभा के साथ बेमानी होता है वो कहते है ना जो दिमाग के तेज होते है वे हमेसा Smart Work का ही रास्ता चुनते है और यही उनका फैसला उन्हें सफलता के रास्ते पर ले जाती है और फिर वही उनके सफलता की एक नई कहानी भी बनती है.

तो चलिए एक छोटी सी कहानी जानते है जिससे आप सभी को Smart Work और Hard Work के अंतर को आसानी से समझ सकते है

एक बार की बात है एक जंगल में कुछ लोग मजदूरी पर लकड़िया काटने का काम करते है सबके काम के आधार मजूदरी मिलती थी जिससे वहा कुछ पुराने लोग जिन्हें लकड़ियों के काटने का अनुभव था वे बहुत ही अच्छे तरह से कार्य कर रहे थे जबकि वहा कुछ नये युवा भी काम पर लगे थे जो बहुत ही जोश के साथ कार्य करते थे.

लेकिन यह क्या पूरे दिन भर कार्य करने के बाद वह युवा लोग कुछ ही लकड़िया काट पाते थे जबकि पुराने अनुभवी लोगो का समूह उतने ही समय में बहुत ज्यादा लकड़िया काट लेते थे इससे उन युवाओ को बड़ा आश्चर्य होता था की हम सभी एक समान घंटे कार्य करते है जबकि ये लोग ज्यादा लकड़िया कैसे काट लेते है जिस कारण से वे उतने समय में ही ज्यादा पैसे भी कमाते थे.

फिर अपनी दुबिधा को दूर करने के लिए वे सारे युवा उन अनुभवी लोगो के पास गये और वही सवाल पूछा की हम सभी के लिए एक समान घंटे मिलते है लेकिन आप लोग उतने ही समय में कैसे ज्यादा मेहनत करके हम सभी से ज्यादा मजदूरी कमा लेते है.

तो उन अनुभवी लोगो के समझाया की इस दुनिया में किसी को काम को दो तरीके से किया जा सकता है पहला Hard Work और दूसरा Smart Work.

आप लोग हार्ड वर्क करते है ये अच्छी बात है और सफलता के लिए कठिन मेहनत करना जरुरी भी है लेकिन अगर अधिक से अधिक सफलता प्राप्त करना चाहते है तो थोडा हमे अलग सोचना चाहिए जिससे की उसी कार्य को Smart तरीके से भी किया जा सकता है.

एक तरफ जहा आप लोग 8 घंटे लगातार लकड़ी काटने का कार्य करते है जिससे की कुल्हाड़ी की धार कमजोर पड़ जाती है जिससे अधिक मेहनत करने पर भी कम ही लकड़ी काट पाते है.

जबकि हम लोग कुछ समय इन लकड़ियों की धार तेज करने में भी देते है जिससे की लकड़िया तेजी से और आसानी से कट सके जिसे हमे अपने अनुरूप मेहनत का फल भी मिलता है इसलिए हमे हार्ड वर्क के साथ साथ Smart Work पर भी ध्यान देना चाहिए जिससे की हमारा वह काम और भी आसान हो सकता है.

अब उन युवाओ को समझ आ चुका था की एक तरफ जहा शारीरिक ताकत के बल पर मेहनत कर रहे थे और यही यदि वे थोड़ा दिमाग भी लगाते तो उनका कार्य और भी  आसान हो सकता था इस तरह अब उन्हें कठिन मेहनत और Smart Work के बीच का फर्क समझ आ चुका था

कहानी से मिलने वाली शिक्षा

तो देखा आपने किस प्रकार यदि आप Hard Work करते है लेकिन थोडा सा दिमाग लगाते हुए उसी कार्य को स्मार्ट तरीके से Smart Work करते है वही काम बहुत आसान हो जाता है इसलिए आज के ज़माने में नये नये टेक्नोलॉजी आते जा रहे है ऐसे हम अपने कार्य को और भी आसान बना सकते है तो जरूरत होती है बस अपने दिमाग का उपयोग करते हुए उन कार्यो को करना

तो ऐसे में यदि हमे सफलता के पथ पर आगे बढना है तो हमे कठिन मेहनत के साथ दिमाग का भी उपयोग करना चाहिए की कैसे हम अपने कार्यो को करे की वह कार्य और भी आसान हो जाये,

इस माह इतना ही... अगले माह कुछ और…

नव वर्ष की शुभकामनाएं।

धन्यवाद

आपका पथ-प्रदर्शक 

धर्मेन्द्र कुमार 

पुस्तकालयाध्यक्ष