💬Thought for the Day💬

"🍃🌾🌾 "Your competitors can copy your Work, Style & Procedure. But No one can copy your Passion, Sincerity & Honesty. If you hold on to them firmly, The world is yours..!! Follow your Principles." 🍃💫🍃💫🍃💫🍃💫🍃💫🍃

Narrative Writing Story Starter by KV JANAKPURI

Story Starter

स्टोरी स्टार्टर

कहानी आरंभ करने वाले वाक्य आपके दिमाग को प्रज्वलित कर देंगे— हमने आपके लिए अपनी अगली कहानी शुरू करना आसान बना दिया है। आप देखिए, हमने 51 कहानी आरंभ करने वाले वाक्यों की एक अद्भुत मज़ेदार और रचनात्मक सूची तैयार की है। उम्मीद है, ये विचार आपको अपने अगले रचनात्मक लेखन प्रोजेक्ट को शुरू करने के लिए आवश्यक प्रेरणा देंगे।  

स्टोरी प्रॉम्प्ट का उपयोग क्यों करें?

यह सच है…

रचनात्मक लेखन के सबसे चुनौतीपूर्ण हिस्सों में से एक वास्तव में एक नया काम शुरू करना हो सकता है।

मेरा मतलब है, अपने कहानी लेखन कौशल को निखारने के लिए नए विचारों के साथ आना हमेशा आसान नहीं होता है और इससे पहले कि आप इसे जानें, आप कागज के एक खाली टुकड़े को देखने में 30 मिनट बर्बाद कर सकते हैं।

यहां तक ​​कि अगर आपके पास कोई विचार है, तो आरंभ करने के लिए उस प्रारंभिक पंक्ति के साथ आना एक चुनौती हो सकती है। अच्छी खबर यह है कि एक बार जब आप शुरुआत कर देते हैं तो लेखन आम तौर पर प्रवाहित होने लगता है। लेकिन, यदि आपको अपना रचनात्मक रस प्रवाहित करने में कुछ सहायता की आवश्यकता है..

तब आप पाएंगे कि हमारे कहानी आरंभ करने वाले वाक्य आपके दिमाग को महान विचारों से प्रज्वलित कर देंगे। साथ ही, वे आपको आगे बढ़ने के लिए एक प्रारंभिक पंक्ति भी दे सकते हैं ताकि आप अपना सारा समय स्वयं कोई विचार लाने में बर्बाद न करें।

कहानी स्टार्टर वाक्य

  1. जैसे ही मैं अंधेरे में आगे बढ़ा, अचानक बर्फीली उंगलियों ने मेरी बांह पकड़ ली। 

  2. मुझे अचानक पता चला कि मैं एक सिंहासन का उत्तराधिकारी था...

  3. उसने पत्र खोला और उसमें लिखा था कि उसने 100,000 डॉलर जीते हैं। 

  4. उस रात जब मैंने रेडियो चालू किया, तो मुझे स्पीकर से आ रही आवाज़ पर विश्वास नहीं हुआ। 

  5. मुझे आज भी वह दिन याद है जब मैं पैदा हुआ था। 

  6. सुबह एक गुप्त बैठक थी और उसे अवश्य ही वहाँ उपस्थित होना था। 

  7. म्यूजिक बॉक्स के बारे में कुछ ऐसा था जो मुझे हमेशा घर के बारे में सोचने पर मजबूर करता था...

  8. मैंने अपनी आँखें खोलीं और मुझे पता नहीं था कि मैं कहाँ हूँ...

  9. वह उस स्थान पर वापस जा रहा था जिसे उसे आशा थी कि उसे फिर कभी नहीं देखना पड़ेगा। 

  10. आज उसे पता चल जाएगा कि क्या उसका पूरा जीवन झूठ था। 

  11. काँपते हुए मैंने उसका हाथ पकड़ लिया और अलविदा कहा। 

  12. एक सड़क यात्रा मेरे और मेरे दोस्तों के लिए बस एक चीज़ थी।

  13. मैंने रात 10:00 बजे समाचार चालू किया और अपने जीवन के सबसे बड़े रहस्यों में से एक को अपनी आँखों के सामने घूमता हुआ देखा। 

  14. रोलर कोस्टर रुक गया था और हम उलटे रह गये थे...

  15. कई महीनों से मैं हर रात सोने के लिए रोता रहा हूँ। 

  16. हमें आधी रात को बे ब्रिज पर एक-दूसरे से मिलना था, लेकिन वह कभी नहीं आया। 

  17. जब मैं लिविंग रूम में गया, तो हर जगह फूलों के बड़े-बड़े गुलदस्ते थे, लेकिन मुझे नहीं   पता था कि वे वहां कैसे पहुंचे। 

  18. मैं कई महीनों से बेहतरीन छुट्टियों की योजना बना रहा था, लेकिन फिर...

  19. हममें से केवल तीन ही बचे हैं - दुनिया में केवल तीन ही जीवित बचे हैं। 

  20. छोटी लड़की मेरी ओर मुड़ी और बोली, "दुनिया का भविष्य अब आप पर निर्भर है"।

  21. पहले तो मुझे लगा कि यह केवल कुत्ता ही शोर मचा रहा है, लेकिन ऐसा था...

  22. यह पियानो संगीत की तरह लग रहा था और यह मेरे लिविंग रूम से आ रहा था...

  23. उसने इस पल के बारे में वर्षों तक सोचा था, इसकी कल्पना की थी, लेकिन जो हुआ उसकी उसने कभी उम्मीद नहीं की थी...

  24. यह सब तब शुरू हुआ जब मैंने हवाई अड्डे पर गलती से गलत सूटकेस उठा लिया।

  25. कैब ड्राइवर अचानक दाएँ की बजाय बाएँ मुड़ गया और मुझे पता नहीं चला कि वह मुझे कहाँ ले जा रहा है। 

  26. मेरे बॉस ने अपना आदेश दे दिया था, लेकिन मैं जानता था कि वह जो पूछ रहा था वह अवैध था। 

  27. उसने फॉर्च्यून कुकी को तोड़ दिया, लेकिन कागज की छोटी सी पर्ची पर एक नक्शा था। 

  28. वेट्रेस मेरे पास आई और मेरे कान में फुसफुसाई, "आपको जाना होगा क्योंकि आपकी जान खतरे में है"।

  29. उसने अपनी पत्नी की जासूसी करने का फैसला किया, लेकिन उसे जो पता चला वह वह नहीं था जिसकी उसे उम्मीद थी। 

  30. उसने सोचा कि उसका बॉस उसे नौकरी से निकाल देगा, इसलिए उसने फैसला किया कि वह जवाबी कार्रवाई करेगी। 

  31. वह रिटायरमेंट होम में रहकर थक गया था, इसलिए भागने की योजना बना रहा था। 

  32. वर्षों पहले एक समय था जब मैं खुश था, लेकिन वे दिन ख़त्म हो गए। 

  33. जबकि मैं आकाश में सैकड़ों तारे देख सकता था, उस रात कोई चाँद नहीं था। 

  34. कैब ड्राइवर अचानक दाएँ की बजाय बाएँ मुड़ गया और मुझे पता नहीं चला कि वह मुझे कहाँ ले जा रहा है। 

  35. मेरे बॉस ने अपना आदेश दे दिया था, लेकिन मैं जानता था कि वह जो पूछ रहा था वह अवैध था। 

  36. उसने फॉर्च्यून कुकी को तोड़ दिया, लेकिन कागज की छोटी सी पर्ची पर एक नक्शा था। 

  37. वेट्रेस मेरे पास आई और मेरे कान में फुसफुसाई, "आपको जाना होगा क्योंकि आपकी जान खतरे में है"।

  38. उसने अपनी पत्नी की जासूसी करने का फैसला किया, लेकिन उसे जो पता चला वह वह नहीं था जिसकी उसे उम्मीद थी। 

  39. उसने सोचा कि उसका बॉस उसे नौकरी से निकाल देगा, इसलिए उसने फैसला किया कि वह जवाबी कार्रवाई करेगी। 

  40. वह रिटायरमेंट होम में रहकर थक गया था, इसलिए भागने की योजना बना रहा था। 

  41. वर्षों पहले एक समय था जब मैं खुश था, लेकिन वे दिन ख़त्म हो गए। 

  42. जबकि मैं आकाश में सैकड़ों तारे देख सकता था, उस रात कोई चाँद नहीं था। 

  43. मुझे 15 मिनट में मंच पर जाना था और मेरे कपड़े फटे हुए और गंदे थे। 

  44. समय ख़त्म हो रहा था और उसके पास दौड़ने के लिए 11 और ब्लॉक थे। 

  45. मैं हर रात एक ही सपना देखता था और यह मुझे डरा रहा था। 

  46. हर बार जब घड़ी आधी रात को बजाती थी, तो पूरे घर में 10 मिनट के लिए अंधेरा हो जाता था। 

  47. जब उसने अपने सेलफोन को देखा, तो वह यह देखकर चौंक गई कि उसमें 33 वॉइसमेल थे। 

  48. मेजर्स में पिच करने वाला यह मेरा पहला गेम था और मैं मुश्किल से अपना उत्साह रोक सका। 

  49. संगीत धीमा हो रहा था, गाना लगभग ख़त्म हो चुका था, लेकिन हम नाचना बंद नहीं कर सके। 

Prayas - December 2023

                                  

Year - 4                          Month - December 2023                        Issue - 48

प्यारे बच्चों,

ज्यादा तर लोग सिर्फ अपने कम्फर्ट जोन में काम करना पसंद करते है वो बस एक सिक्योर कोना ढूढंते थे और उसी कोने अपने अपनी पूरी ज़िंदगी बिताने के लिए सोचते है। असल में इस दुनिया में दो तरह के लोग है एक वो जो सिर्फ जी हुजूरी करना जानते है सिर्फ हां में हां मिलाकर आगे बढ़ना जानते है और दूसरे वो जो अपने दम पर लोगो के हां में हां ना मिलाकर उनके हिसाब से जो चीज़ सही है वो चीज़ कर के उंचाईयों के सिखर को छूने की ताक़त रखते है।

ये जो जी हुजूरी करने वाले लोग होते है ना ये सिर्फ वही करते है जो इनका मालिक इन्हे करने को कहता है इसीलिए इन्हे मिलता भी उतना ही है जितना इनका मालिक इन्हे देता है और जो अपने दम पर अपने आप को सही साबित करते है उन्हें उतना मिलता है जितना उनके सोच उन्हें देने के सपने दिखाते है।

असल में अपने दम पर जीने की ताक़त सब में नहीं होती। कोई बहुत खाश ही होता है जो गधो के झुण्ड से निकलकर शेरो की तरह रास्ता बनाना जनता है। अपने देखा होगा की गधा कैसे मेहनत करता है। दिन रात काम करता है अपने मालिक की गुलामी करता है वह बहुत जी तोड़ मेहनत करने के बाद भी रहता आखिर गधा ही है। लेकिन शेर वो पुरे दिन सोता है लेकिन जब समय आता है शिकार का तब वह अपनी पूरी ताक़त लगा देता है शिकार करने में, वह अपना लीडर खुद होता है। शेर कभी किसी की गुलामी नहीं कर सकता।

जतनी मेहनत गधा पुरे दिन में करता है उतनी मेहनत शेर एक मिनट में करता है लेकिन उसके द्वारा एक मिनट में की गयी मेहनत गधे द्वारा की गयी दिन की मेहनत से कई गुना होता है। शेर जब एक बार शिकार करता है तो फिर उसे दो तीन दिन तक शिकार करने की जरुरत नहीं पड़ती। लेकिन गधा अगर एक दिन काम ना करे तो उसका काम नहीं चल सकता, उसका मालिक उसे भगा देगा।

जी हुजूरी हो लोग करते है उनकी मेहनत सफल तो होती है पर काम वही करना पड़ता है जो उनका मालिक उन्हें करने को बोलता है। वह बोलेगा की चाय लेकर आ तो चाय लानी पड़ेगी, वह बोलेगा की टेबल पर थोड़ा कपडा मार दे तो कपडा मरना पड़ेगा।

पर अगर तुम शुरू में ही टोक दोगे की मेरा जो काम है उसके आलावा और कोई काम नहीं कर सकता मैं, तो तुम्हारे सीनियर की हिम्मत नहीं होगी की दुबारा ये चीज़ बोले। जी हुजूरी करते-करते अगर तुम उचाई पर पहुंच भी जाते हो तो उन लोगो के नज़र में तुम्हारी इज्जत वही रहेगी की हमारे वजह से ही वह पहुंचा है।

पर अगर तुम अपने दम पर ऊंचाई पर पहुंचने की हिम्मत रखते हो तो इस दुनिया का कोई भी आदमी नज़र उठाने से पहले सौ बार सोचेगा और अगर नज़र उठती भी है तो उन आँखों में इतनी आदर, प्यार और सम्मान होगा की तुम्हारा सीना गर्व से और चौड़ा होने लगेगा। गुलामी किसी की भी क्यों करनी है यार।

क्यों किसी के पैरो में बैठ कर रोटी मांगनी है। क्या तुम वह चीज़ नहीं हांसिल नहीं कर सकते जहा वह सख्स बैठा है जिसकी तुम गुलामी कर रहे हो। कोई भी इंसान कमजोर सिर्फ तब होता है जब उसका बुद्धि और उसका दिल उसे ये यकीं दिलवाता है की तू कमजोर है और अपने दिल दिमाग की नहीं अपने दिल दिमाग को कण्ट्रोल में रखो अपने मन को कण्ट्रोल में रखो।

ये पूरी दुनिया भगवान ने आपको पुरे सम्मान से जीने के लिए दी है। ईश्वर के अलावा ये सिर कही झुकाने से पहले सौ बार सोचना की जहा मैं सिर झुका रहा हूँ वह इस लायक है भी या नहीं। काम करो बहुत करो पर कभी अपने आप को किसी के पैरो में गिराना मत और ना की किसी के आगे इतना झुकना की वह आपके कमर को पावदान समझने लगे। नए साल की खूब ढेर सारी शुभकामनाएं .

जय हिंद जय भारत..

अगले महीने कुछ और लेकर आपके सामने फिर आऊंगा ।

धन्यवाद

आपका पथ-प्रदर्शक 

धर्मेन्द्र कुमार 

पुस्तकालय अध्यक्ष  


Reading Journal by KV JANAKPURI

Happy Guru Nanak Jyanti


गुरु नानक देवजी सिखों के पहले गुरु थे। अंधविश्वास और आडंबरों के कट्टर विरोधी गुरु नानक का प्रकाश उत्सव (जन्मदिन) कार्तिक पूर्णिमा को मनाया जाता है हालांकि उनका जन्म 15 अप्रैल 1469 को हुआ था। पंजाब के तलवंडी नामक स्थान में एक किसान के घर जन्मे नानक के मस्तक पर शुरू से ही तेज आभा थी। तलवंडी जोकि पाकिस्तान के लाहौर से 30 मील पश्चिम में स्थित है, गुरु नानक का नाम साथ जुड़ने के बाद आगे चलकर ननकाना कहलाया। गुरु नानक के प्रकाश उत्सव पर प्रति वर्ष भारत से सिख श्रद्धालुओं का जत्था ननकाना साहिब जाकर वहां अरदास करता है।

गुरुनानक बचपन से ही गंभीर प्रवृत्ति के थे। बाल्यकाल में जब उनके अन्य साथी खेल कूद में व्यस्त होते थे तो वह अपने नेत्र बंद कर चिंतन मनन में खो जाते थे। यह देख उनके पिता कालू एवं माता तृप्ता चिंतित रहते थे। उनके पिता ने पंडित हरदयाल के पास उन्हें शिक्षा ग्रहण करने के लिए भेजा लेकिन पंडितजी बालक नानक के प्रश्नों पर निरुत्तर हो जाते थे और उनके ज्ञान को देखकर समझ गए कि नानक को स्वयं ईश्वर ने पढ़ाकर संसार में भेजा है। नानक को मौलवी कुतुबुद्दीन के पास पढ़ने के लिए भेजा गया लेकिन वह भी नानक के प्रश्नों से निरुत्तर हो गए। नानक ने घर बार छोड़ बहुत दूर दूर के देशों में भ्रमण किया जिससे उपासना का सामान्य स्वरूप स्थिर करने में उन्हें बड़ी सहायता मिली। अंत में कबीरदास की 'निर्गुण उपासना' का प्रचार उन्होंने पंजाब में आरंभ किया और वे सिख संप्रदाय के आदिगुरु हुए।

सन् 1485 में नानक का विवाह बटाला निवासी कन्या सुलक्खनी से हुआ। उनके दो पुत्र श्रीचन्द और लक्ष्मीचन्द थे। गुरु नानक के पिता ने उन्हें कृषि, व्यापार आदि में लगाना चाहा किन्तु यह सारे प्रयास नाकाम साबित हुए। उनके पिता ने उन्हें घोड़ों का व्यापार करने के लिए जो राशि दी, नानक ने उसे साधु सेवा में लगा दिया। कुछ समय बाद नानक अपने बहनोई के पास सुल्तानपुर चले गये। वहां वे सुल्तानपुर के गवर्नर दौलत खां के यहां मादी रख लिये गये। नानक अपना काम पूरी ईमानदारी के साथ करते थे और जो भी आय होती थी उसका ज्यादातर हिस्सा साधुओं और गरीबों को दे देते थे।

सिख ग्रंथों के अनुसार, गुरु नानक नित्य प्रातः बेई नदी में स्नान करने जाया करते थे। एक दिन वे स्नान करने के पश्चात वन में अन्तर्ध्यान हो गये। उस समय उन्हें परमात्मा का साक्षात्कार हुआ। परमात्मा ने उन्हें अमृत पिलाया और कहा− मैं सदैव तुम्हारे साथ हूं, जो तुम्हारे सम्पर्क में आयेंगे वे भी आनन्दित होंगे। जाओ दान दो, उपासना करो, स्वयं नाम लो और दूसरों से भी नाम स्मरण कराओ। इस घटना के पश्चात वे अपने परिवार का भार अपने श्वसुर को सौंपकर विचरण करने निकल पड़े और धर्म का प्रचार करने लगे। उन्हें देश के विभिन्न हिस्सों के साथ ही विदेशों की भी यात्राएं कीं और जन सेवा का उपदेश दिया। बाद में वे करतारपुर में बस गये और 1521 ई. से 1539 ई. तक वहीं रहे।

गुरु नानक देवजी ने जात−पांत को समाप्त करने और सभी को समान दृष्टि से देखने की दिशा में कदम उठाते हुए 'लंगर' की प्रथा शुरू की थी। लंगर में सब छोटे−बड़े, अमीर−गरीब एक ही पंक्ति में बैठकर भोजन करते हैं। आज भी गुरुद्वारों में उसी लंगर की व्यवस्था चल रही है, जहां हर समय हर किसी को भोजन उपलब्ध होता है। इस में सेवा और भक्ति का भाव मुख्य होता है। नानक देवजी का जन्मदिन गुरु पूर्व के रूप में मनाया जाता है। तीन दिन पहले से ही प्रभात फेरियां निकाली जाती हैं। जगह−जगह भक्त लोग पानी और शरबत आदि की व्यवस्था करते हैं। गुरु नानक जी का निधन सन 1539 ई. में हुआ। इन्होंने गुरुगद्दी का भार गुरु अंगददेव (बाबा लहना) को सौंप दिया और स्वयं करतारपुर में 'ज्योति' में लीन हो गए।गुरु नानक जी की शिक्षा का मूल निचोड़ यही है कि परमात्मा एक, अनन्त, सर्वशक्तिमान और सत्य है। वह सर्वत्र व्याप्त है। मूर्ति−पूजा आदि निरर्थक है। नाम−स्मरण सर्वोपरि तत्त्व है और नाम गुरु के द्वारा ही प्राप्त होता है। गुरु नानक की वाणी भक्ति, ज्ञान और वैराग्य से ओत−प्रोत है। उन्होंने अपने अनुयायियों को जीवन की दस शिक्षाएं दीं जो इस प्रकार हैं−

1. ईश्वर एक है। 

2. सदैव एक ही ईश्वर की उपासना करो। 

3. ईश्वर सब जगह और प्राणी मात्र में मौजूद है। 

4. ईश्वर की भक्ति करने वालों को किसी का भय नहीं रहता। 

5. ईमानदारी से और मेहनत कर के उदरपूर्ति करनी चाहिए। 

6. बुरा कार्य करने के बारे में न सोचें और न किसी को सताएं। 

7. सदैव प्रसन्न रहना चाहिए। ईश्वर से सदा अपने लिए क्षमा मांगनी चाहिए। 

8. मेहनत और ईमानदारी की कमाई में से ज़रूरतमंद को भी कुछ देना चाहिए। 

9. सभी स्त्री और पुरुष बराबर हैं। 

10. भोजन शरीर को जि़ंदा रखने के लिए ज़रूरी है पर लोभ−लालच व संग्रहवृत्ति बुरी है।

Guru Nanak Jayanti by KV JANAKPURI

Annual Panel Inspection

                                                 Annual Panel Inspection

PM SHRI Kendriya Vidyalaya Janakpuri 

1st & 2nd Shift
23.11.2023

______________________________________________________

On 23.11.2022 ( Thursday) the Annual Panel Inspection of PM SHRI KV Janakpuri is going to be held by the galaxy of intellectuals. Through the Annual Inspection, we learn many new things with the help of suggestions given by the observers. This inspection is different from the last three years' inspections as the teaching-learning has gone Online because of COVID-19. That was a challenge for the teachers and the Taught. 

Now Again We are offline and the Annual panel Inspection is offline.

"It is a time to inspire and to be inspired"

Kendriya Vidyalaya Janakpuri Delhi 2nd Shift welcomes respected Asst. Commissioner Mr. K C Meena and all the inspecting team members will inspect our Vidyalaya under her great supervision. Details of the Inspecting teams are:

Sr. No.    Name of the members of                 Designation & Name of KV    

                      Inspecting Team-

  1. NAME DESIGNATION & SCHOOL NAME
    1. Sh. V. K Yadav   Principal, KV Chhabala
    2. Sh Haripad Das      Principal, KV Rangpuri
    3. Smt Rashmi Shukla
    4. Sh Navendu Parasar
           Principal, KV SPG Dwarka
        Principal KV Tughalakabad
    5. Sh. Shiva Kr. Sharma         Principal KV 4 Delhi Cantt
    6. Smt poonam SaloojaPrincipal KV Rohini Sec - 8
    7. Mr Pawan Sharma        VP, KV Vigyan Vihar Shift - 2
    8. Smt Anjalina BaddingHM  KV BSF Chhawala Cantt
    9. Sh Sujit Kumar    HM, KV INA
    ___________________
    _____________________________________________

पराक्रम की पराकाष्ठा ‘रेजांगला युद्ध’

 


यदि मुल्क की सियासी कयादत इच्छाशक्ति दिखाए तो विश्व की सर्वोत्तम भारतीय थलसेना सरहदों की बंदिशों को तोडक़र डै्रगन का भूगोल बदलने में गुरेज नहीं करेगी। अत: हमारे हुक्मरानों को समझना होगा कि शांति का मसीहा बनकर अमन की पैरोकारी करने के लिए एटमी कुव्वत से लैस सैन्य महाशक्ति बनना भी जरूरी है। रेजांगला दिवस पर 1962 के योद्धाओं को देश नमन करता है…

‘ए मेरे वतन के लोगों जरा आंख में भर लो पानी’ सल्तनत, मौसिकी पर सात दशकों तक हुक्मरानी करने वाली भारत की मारूफ गुलुकारा लता मंगेशकर ने 27 जनवरी 1963 को दिल्ली के नेशनल स्टेडियम में इस नगमे के जरिए सन् 1962 की भारत-चीन जंग के बलिदानी सैनिकों को श्रद्धांजलि पेश करके उस युद्ध की दर्दनाक दास्तां को भी बयान किया था। सुरों की मल्लिका मरहूम लता मंगेशकर का आंखें नम करने वाला यह तराना हर हिदोंस्तानी के जहन में आज भी सैनिकों के बलिदान का एहसास कराता है। चीन ने सन् 1950 में तिब्बत पर आक्रमण करके बुद्ध की तहजीब को कुचल कर वहां कब्जा जमाकर ‘माओ’ की लाल सल्तनत का पूर्ण निजाम नाफिज करके अपने प्राचीन दार्शनिक ‘संत जु’ के विस्तारवादी मंसूबों को अंजाम तक पहुंचाने की तस्दीक कर दी थी, मगर चीन के शातिर इरादों को भांपने में भारत असफल रहा था। सन् 1962 में भारत का मित्र देश सोवियत संघ ‘क्यूबा मिसाइल संकट’ के मसले में उलझा था। उस वक्त चीन ने 20 अक्तूबर 1962 को 3488 कि. मी. लंबी वास्तविक नियंत्रण रेखा का उल्लंघन करके भारत के लद्दाख, चुशूल तथा अरुणाचल प्रदेश के क्षेत्रों पर हमला करके युद्ध का ऐलान कर दिया था।

सैन्य इतिहास में हिमाचल के सपूतों ने रणभूमि में शौर्य के कई बेमिसाल शिलालेख लिखकर वीरभूमि को हमेशा गौरवान्वित किया है। 10 अक्तूबर 1962 को अरुणाचल क्षेत्र में मौजूद ‘त्सेंगजोंग पोस्ट’ पर चीनी सेना ने धावा बोल दिया था। हिमाचली शूरवीर ‘कांशीराम’ (9 पंजाब) अपने सैनिक साथियों सहित उस पोस्ट पर तैनात थे। 9 पंजाब के बहादुर जवानों ने चीनी हमले का मुंहतोड़ जवाब दिया था, मगर कांशी राम ने चीनी सैनिक का हथियार छीनकर उसी से ड्रैगन के कई सैनिकों को जहन्नुम की परवाज पर भेजकर उस हमले को नाकाम करने में अहम किरदार निभाया था। दुश्मन का हथियार छीनकर शत्रु सैनिकों को मौत के घाट उतारने की उस युद्ध की वो पहली घटना थी। रणभूमि में अदम्य साहस का परिचय देने वाले सूबेदार मेजर कांशी राम को सेना ने ‘महावीर चक्र’ से सरफराज किया था। उसी युद्ध में 27 अक्तूबर 1962 को लद्दाख सेक्टर की ‘छांगला चौकी’ पर ‘लाहौल स्पीति’ के रणबांकुरे हवलदार ‘तेंजिन फुंचोक’ (7 मिलिशिया) ने चीन के पांच सैनिकों को हलाक करके शहादत को गले लगा लिया था। युद्ध में असीम शौर्य के लिए सेना ने तेंजिन फुंचोक को भी ‘महावीर चक्र’ (मरणोपरांत) से अलंकृत किया था। उस युद्ध में हिमाचल के 131 सपूतों ने अपना सर्वस्व न्योछावर कर दिया था। 1962 के भारत-चीन युद्ध में सबसे बड़ी जंग ‘रेजांगला’ के महाज पर लड़ी गई थी। दक्षिणी लद्दाख के चुशूल सेक्टर में भारतीय सेना की ‘13 कुमाऊं’ बटालियन तैनात थी। 13 कुमाऊं की 120 जवानों की ‘सी’ कंपनी रेजांगला के मोर्चे पर मुस्तैद थी। युद्ध में उस कंपनी का नेतृत्व मेजर ‘शैतान सिंह’ ने किया था।

18 नवंबर 1962 को समूचा भारत दीपावली का पावन पर्व मना रहा था, मगर उसी दिन चीन की ‘पीपल लिबरेशन आर्मी’ के हजारों सैनिकों ने आधुनिक हथियारों से लैस होकर रेजांगला पोस्ट पर आक्रमण कर दिया था। चूंकि 13 कुमाऊं के बहादुर सैनिक रेजांगला में चीनी सेना के चार हमलों को नाकाम कर चुके थे। चीनी लाव लश्कर की भारी तादाद व विषम परिस्थितियों के चलते 13 कुमाऊं की उस कंपनी को अपनी पोजीशन से पीछे हटने का आदेश भी मिल चुका था। लेकिन राजपूत योद्धा मेजर शैतान सिंह भाटी ने पीछे हटने के बजाय रेजांगला के मोर्चे पर ड्रैगन की मंसूबाबंदी को खाक में मिलाने का विकल्प चुना था। 18 हजार फीट की बुलंदी पर लड़ी गई रेजांगला की उस भीषण जंग में चीन के सैकड़ों सैनिकों को मौत के घाट उतार कर 13 कुमाऊं की ‘सी’ कपंनी के 120 में से 114 शूरवीरों ने मातृभूमि की रक्षा में सर्वोच्च बलिदान दे दिया, मगर दुश्मन के सामने आत्मसमर्पण नहीं किया था। रेजांगला के रण में तनी हुई संगीनों के साथ बलिदान हुए 13 कुमाऊं के सैनिकों के शवों को युद्ध के तीन महीने बाद बर्फ पिघलने पर फरवरी 1963 में उठाया गया था। चीनी सेना की लाशों पर शूरवीरता का रक्तरंजित मजमून लिखने वाले मेजर शैतान सिंह का पार्थिव शरीर भी उनकी मशीनगन के साथ आक्रामक मुद्रा में ही मिला था। उंगलियां ट्रिगर पर मौजूद थीं। 18 नवंबर 1962 को रेजांगला में आखिरी गोली, आखिरी जवान व आखिरी सांस तक लड़ी गई भीषण जंग की शौर्यगाथा सैन्य इतिहास में एक नजीर बन गई। 1962 की जंग में चीन को सबसे गहरा जख्म देने वाले रेजांगला के नायक मेजर शैतान सिंह को युद्ध में उच्चकोटी के सैन्य नेतृत्व के लिए सर्वोच्च सैन्य पदक ‘परमवीर चक्र’ (मरणोपंरात) से नवाजा गया था।

रेजांगला युद्ध में चीनियों को हलाक करके वीरगति को प्राप्त हुए ‘सिंह राम’ व ‘गुलाब सिंह’ दोनों ‘वीर चक्र’ सगे भाई थे। रेजांगला की यूद्धभूमि पर 1962 के भारतीय योद्धाओं के शौर्य पराक्रम व बलिदान की खुशबू आज भी महसूस की जा सकती है। चीनी सेना ने रेजांगला युद्ध से वापस लौटते वक्त राइफलों की संगीने रणभूमि में गाडक़र 13 कुमाऊं के योद्धाओं के शौर्य को सलाम किया था। स्मरण रहे रेजांगला की जंग विश्व के दस सबसे बड़े सैन्य संघर्षों में शुमार करती है। रेजांगना युद्ध की हकीकत जानने के लिए बनी कमेटी में ‘रेडक्रॉस’ का एक अमेरिकी अधिकारी भी शामिल था। रक्षा मंत्रालय ने ‘रेजांगला युद्ध स्मारक’ का पुनर्निर्माण करवाकर पिछले वर्ष इसे रेजांगला के योद्धाओं को समर्पित किया था। भारतीय सेना ने सन् 1967 के ‘नाथुला सैन्य संघर्ष’ में चीन के 388 सैनिकों को हलाक करके डै्रगन का 1962 का भ्रम दूर कर दिया था, मगर 1962 की जंग के इंतकाम का अज्म आज भी सेना के जहन में बरकरार है। यदि मुल्क की सियासी कयादत इच्छाशक्ति दिखाए तो विश्व की सर्वोत्तम भारतीय थलसेना सरहदों की बंदिशों को तोडक़र डै्रगन का भूगोल बदलने में गुरेज नहीं करेगी। अत: हमारे हुक्मरानों को समझना होगा कि शांति का मसीहा बनकर अमन की पैरोकारी करने के लिए एटमी कुव्वत से लैस सैन्य महाशक्ति बनना भी जरूरी है। रेजांगला दिवस पर 1962 के योद्धाओं को देश शत-शत नमन करता है।

धर्मेन्द्र कुमार
पुस्ताकालायाध्यक्ष