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Dr. B.R. Ambedkar

Dr. B.R. Ambedkar Biography

Bhimrao Ramji Ambedkar, also known as Babasaheb Ambedkar is famous as the father of the Indian Constitution. He was a great activist and a social reformer who fought for the rights of Dalits and the upliftment of the socially backward class in Indian society.

Early Life and Education

B.R. Ambedkar was born on 14th April 1891 in Mhow, a small place in Western Madhya Pradesh. He belonged to the ‘untouchable’ Mahar caste. Since his grandfather and father were part of the British army, all Army personnel’s families were required to study and thus Ambedkar had the privilege to study which would otherwise have been denied to low-caste people.

Fight against Untouchability

Despite the opportunity given to all students to study, Bhimrao faced a lot of discrimination in school. They had to sit on the floor to study, teachers would not touch their notebooks, they were not allowed to drink water from the public reservoir and it soon etched into his mind that they would remain ‘untouched’.

He was very fond of reading and read everything he could lay his hands on. Bhimrao was always mocked at by teachers but he went on to get higher education and graduated in Arts. He even won a scholarship for higher studies and was sent to America. He completed his doctorate and went to London to study economics and politics. His scholarship was terminated and he had to return to Baroda. Here he worked as the Defence secretary for the state but he was often ridiculed for being of the ‘Mahar’ caste. Thus he left his job and became a teacher at Sydenham College in Mumbai. He also started a weekly journal, ‘Mooknayak’, with the help of the Maharaja of Kolhapur. The journal criticised orthodox Hindu beliefs and was a voice against discrimination.

Political Career

He earned enough money to complete his studies in London and then was appointed as a barrister in the British bar. Determined to work for the eradication of discrimination in India, he returned. He started the ‘Bahishkrit Hitkarini Sabha’ which provided education and socio-economic improvement to the backward classes. He followed the footsteps of Gandhi to fight for water sources and the right to enter temples for the untouchables. He also published a book ‘Annihilation of caste’ in which he strongly criticised the discriminative Indian society. He also published ‘Who were the Shudras?’ where he explained the formation of untouchables.

THE FATHER OF INDIAN CONSTITUTION

He earned the chair as Free India’s first law minister and the chairman of the drafting committee of the Indian Constitution. He drafted the Indian constitution in such a way as to provide Indian citizens with freedom of religion, abolish untouchability, provide rights to women and bridge the gap between various Indian classes.

Conversion to Buddhism and Death

Babasaheb converted himself to Buddhism after being inspired by their preaching. He even wrote a book ‘The Buddha and his Dhamma’. He died on December 6, 1956. His birthday is celebrated as a public holiday known as Ambedkar Jayanti.

courtesy:https://mocomi.com/dr-ambedkar-biography/

Grey Decorative Ambedkar Jayanti Greeting Mobile Video by KV JANAKPURI

Prayas - April 2024

    

Year - 4                                 Month - April 2024                                        Issue - 52

प्यारे बच्चों,

आप दुनिया में उलझ कर अपने सपने भूल जाते हो, दुनिया आप परेशान करेगी आप से कहेगी की तू कुछ नहीं कर पायेगा, आपको गिराने को कोशिश करेगी, आपसे जलेगी आपको भटकाने की कोशिश करेगी, आपके एक बार के छोटे से असफलता (Failure) को बहुत बड़ा बना के आपको चिढ़ाएगी,

आप अगर उन पर ध्यान दोगे तो आपको लगता है की आप कुछ कर पाओगे, Are You Serious??

जी नहीं आप उन पर ध्यान दोगे तो आप कुछ नहीं कर पाओगे, उन्हें नजरअंदाज करना सीखो और खुद पर विश्वास करना सीखो,  आपकी मेहनत (Hard Work) किसी न किसी जगह जरूर दिखेगी आप बस थोड़ा सब्र रखो,

आप खुद पर विश्वास रखोगे तो आप खुद उम्मीदों पर तो खड़े उतरोगे ही बल्कि आप उससे भी बेहतर कर दिखाओगे, और अभी तक आपके जीवन में दुनिया का प्रेशर (Pressure) नहीं आया है तो आप अभी सफलता के रस्ते पर हो ही नहीं,

आपके सामने जीवन में एक न एक बार वो दिन जरूर आएगा जब सारी दुनिया आपके खिलाफ हो जाएगी, आप तो बस अकेले में ही अपनी जिंदगी और मेहनत की जंग लड़ते रहना, इस दौर से बहुत ही कम लोग कुछ सीख पाते हैं,

हमें वो दिन नहीं आने देना है चाहे किसी भी हद तक जाना पड़ जाए, इसलिए आपको सारी हदें पार करके आगे बढ़ना है..

आपको पता है, लोग कंजूसी क्यों करते हैं, क्योंकि उनमें कुछ करने की काबिलियत ही नहीं होती है, इसलिए वह एक रुपए बचाने के लिए भी कंजूसी करते हैं,

आपको सफलता के द्वार में जाना है तो आपको सारी हदें पार करनी ही होगी, आपकी जो भी खराब आदते हो सारी आदतें को छोड़ना है, और आपको अच्छी आदतें अपनानी ही होगी, आप कहीं से भी कुछ भी चीज को सिखे तो आप उसे एक बार अपना कर जरूर देखो ज्यादा नहीं सिर्फ 10 दिन तो करो, लाखौं विद्यार्थियों की यही बुरी चीज है कि उन्हें ज्ञान फालतू का लगता है और कुछ लोगो को अच्छा लगता तो उन्हें अपनाना नहीं है,

विद्यार्थियों को सफलता के रस्ते पर दिन पर दिन कुछ नया करते रहना बहुत जरुरी है, और धीरे धीरे खुद को बदलना जरुरी है, पर बहुत लोग इसे नजरअंदाज करते है और एक समय के बाद सपनो को भूल के इसी जिंदगी में उलझ जाते है.. आप मेरी कुछ बातों को अपना कर देखना, 

अगर आपको अच्छा परिणाम ना मिल जाए तो बताना कोई भी आपको कुछ सीखता है सब अच्छा ही सिखाता है फिर वह आपकी सोच आपको गलत कहने पर मजबूर कर देती है, वह बात अलग है आपसे जलने बाले आपको आगे बढ़ते हुए न देख पायें,

आप स्कूल जाते हो कहते हो स्कूल में पढ़ाई नहीं होती है, आपको पढ़ना नहीं है, मुख्य कारण तो यही है कि आपको पढ़ना ही नहीं है स्कूल में तो पढ़ाई बराबर हो रही है, पर बहाने ही हमें सफलता से रोकते हैं इसलिए बहाने बनाना बंद करो.. आपकी सफलता के बीच में जो कुछ भी है, उसे तोड़ मरोड़ डालो उसे जैसे भी हो सके जल्दी छोड़ो घर की प्रॉब्लम है, घर की जिम्मेदारी है पढ़ने के इरादे से बाहर चले जाओ  वहां मेहनत (Hard Work) करो आपको रास्ते में जो भी समस्या है,

उसका समाधान जल्द ही ढूंढो क्योंकि आपके ही समाधान आपकी आने वाली जिंदगी बदल कर रख देगी फैसला आप करेंगे, आपके फैसले पर ही दुनिया टिकी है दुनिया का क्या है आज आप के खिलाफ है,

कल सफलता मिलने के आपके साथ होगी, ये आपको पता होना चाहिए,

दुनिया हमेशा अपने फैसले बदलते रहेगी सिर्फ ये याद रखना कि कहीं आपके माता पिता का एक फैसला आपको कुछ ना कर पाने की वजह न दे दे, इसलिए आज अपने समय को बर्बाद बिल्कुल मत करो कल समय भी आपका होगा,

दिन भी आपका होगा सिर्फ आज बस मेहनत (Hard Work) कर लीजिये कल सारी मुश्किलों का समाधान आपके पास होगा, आज आपको जिंतना रास्ता दिख  उतना आप पहले तय कीजिये उसके आगे का रास्ता बहा पहुँचने के बाद दिखने लगेगा।   

जिद करो और इतनी बड़ी खुद से जिद करो की तुम अपने खुद का जीने का तरीका ही बदल डालो आज तुम करोगे तो कल तुम्हें ही फायदा होगा,

सिर्फ 5 साल मेहनत करो 

आज सिर्फ तुम 5 साल मेहनत करो आगे के 50 साल आपके खुशियों से भरे होंगे वरना आज 5 साल आप मजे से जी लो और आगे के 50 साल आप मेहनत से जियो फैसला आपके हाथ में हैं,

आप आज काम तो करो ये याद रखना की आपके शुरूआती 2 साल आपको आगे और मेहनत (Hard Work) करने के लिए तैयार करेगा न कि  बेहतरीन रिजल्ट (Result) देगा, और ये 2 साल ये भी बता देंगे कि आप आगे के 3 सालों में कहा तक पहुँचने बाले हो,

दोस्तों आप से हो सके तो अपने 2 साल तो सिर्फ सीखने यानि अनुभव (Experience) पर खर्च करे क्युकि आप जितना सेखोगे उतने ही बेहतरीन परिणाम आपको देखने को मिलेंगे। 

आज आपके बीच में जो कुछ भी आएगा , आज तुम्हारे सामने जो भी समस्या आए उसे आप हटा सकते हो, मगर कल बिल्कुल भी नहीं हटा पाओगे, लोग अपनी इज्जत के लिए नए दोस्त और अपनी पहचान बनाता है पर वो पहचान आपके कुछ काम नहीं आएगी पर आपकी सफलता की पहचान आपको जिंदगी भर काम आएगी, आप फैसला लेना मगर सोच समझकर लेना,

ये 5 साल गधा मजदूरी तो हर कोई कर लेगा पर ये मेहनत उससे भी ज्यादा कठिन होती है, यह सफलता कि मेहनत (Hard Work) कुछ लोगों से ही हो पाती है, और आपको उन्हीं कुछ लोगों में अपना नाम बनाना है इसलिए

आप उठो जागो और भागो तब तक भागो जब तक आप को सफलता के रास्ते नहीं मिल जाते ,

वही सफलता के रास्ते ढूंढना है आपको वैसे तो हर काम में सफलता होती है पर काम करने के तरीके अलग होते हैं, मेहनत (Hard Work) आज आप करो कल सफलता आपको जरूर मिलेगी आप सफलता के लिए जिस हदे पार कर सकते हो,

उस हद तक जाओ आप विद्यार्थियों हो मोटिवेशनल स्पीच पढ़ो और एक आग जलाओ अपने अन्दर और निकल पड़ो, कुछ इस हद तक मेहनत (Hard Work) करो की आप आज से 5 साल बाद अगर पीछे मुड़कर देखो तो आपको इतनी ख़ुशी हो की उसका आपके पास कोई जबाब ना हो,

सफलता  के असफलता (Failure) और उसमे लगने वाली मेहनत (Hard Work) हमे उस मुकाम पर टिकना सिखाती है, जिससे सफलता की मेहनत (Hard Work) में इजाफा देखने को मिलता है,

आपको सफलता में सारी हदें पार करना है हर एक समस्या का समाधान ढूंढ़ना हैं तो मेहनत (Hard Work) करो चलिए तो Good Luck For Your Life Struggle

Happy New Session !! All the Best !!

जय हिंद जय भारत..

अगले महीने कुछ और लेकर आपके सामने फिर आऊंगा ।

धन्यवाद

आपका पथ-प्रदर्शक 

धर्मेन्द्र कुमार 

14.03.2024 Career by KV JANAKPURI

prayas - March 2024

   

Year - 4                             Month - March 2024                                   Issue - 51

प्यारे बच्चों,

महान वैज्ञानिक थॉमस एडिसन के एक प्रेरक कथन -

“हमारी सबसे बड़ी कमजोरी हार मान लेना है, सफल होने का सबसे निश्चित तरीका है हमेशा एक और बार प्रयास करना”- Thomas Edison

कई छात्र ऐसे होते हैं जो मेहनत तो करते हैं, लेकिन फिर भी उन्हें सफलता नहीं मिलती है, जिसकी वजह से वे निराश होकर मेहनत करना ही छोड़ देते हैं और अपनी किस्मत को दोष देने लगते हैं, लेकिन उन्हें निराश नहीं होना चाहिए बल्कि कई ऐसे सफल लोगों से सीख लेनी चाहिए।

जिन्होंने तमाम असफलता के बाद सफलता हासिल की है, क्योंकि सफलता पाने के लिए हर किसी को कड़ी मेहनत, संघर्ष और कई असफलताओं से गुजरना पड़ता है। ऐसे बेहद कम लोग होते हैं जिन्हें बिना मेहनत और संघर्ष के ही अपनी मंजिल मिल जाती है।

हर किसी के पास अपना अलग सामर्थ्य और काबिलियत होती है। कोई छात्र पढ़ाई में अव्वल होता है, तो कोई छात्र स्पोटर्स्, म्यूजिक, डांस आदि क्षेत्रों में आगे होता है, जरूरी नहीं कि आप भी अपने क्लास में टॉपर की तरह 95 फीसदी अंक लाओ तभी आपका भविष्य संवर सकता है।

बल्कि जरूरी यह है कि आप अपने अंदर की काबिलियत को समझे और सही दिशा में आगे बढ़ने के लिए अपने लक्ष्य का निर्धारण करें और उसे पाने के लिए खूब प्रयास करें तभी आप सफल इंसान बन सकते हैं।वहीं इस पर किसी महान व्यक्ति ने भी कहा है कि

“जहां तुम हो वहीं से शुरूआत करो, जो कुछ भी तुम्हारे पास है उसका उपयोग करो और वह करो जो तुम कर सकते हो”

कई छात्र ऐसे भी होते हैं जो सफल तो होना चाहते हैं, लेकिन इसके लिए प्रयास नहीं करते और अपना काफी समय गवां देते हैं, जिसके बाद एक पल ऐसा आता है, जब उन्हें लगता है कि काश मैने भी मेहनत की होती तो आज में सफल हो जाता।

इसलिए अगर जिस काम के बारे में सोचो तो उसे करने का प्रयास जरूर करो क्योंकि वक्त निकलने में टाइम नहीं लगता और फिर जिंदगी में काश शब्द के सिवाय और कुछ नहीं बचता साथ ही प्रयत्न नहीं करने का पूरी जिंदगी भर अफसोस होता है।

इसके अलावा कई छात्र ऐसे भी होते हैं, जो किसी कॉम्पटीटिव एग्जाम या फिर कोई भी परीक्षा देने से पहले ही सोच लेते हैं कि उनका सेलेक्शन नहीं होगा, और वे इसके लिए मेहनत भी नहीं करते हैं।

इसलिए ऐसा न करें क्योंकि किसी काम को जब तक पूरी निष्ठा के साथ नहीं किया जाता, तब तक वह करना नामुमकिन लगता है और जिंदगी में सफलता नहीं मिलती हैं, वहीं इस बारे में नेल्सन मंडेला जी ने भी अपना विचार व्यक्त किया है जो कि इस प्रकार है –

“जब तक किसी काम को किया नहीं जाता तब तक वह असंभव लगता है” – Nelson Mandela

फिलहाल, हम सभी को हमने काम के प्रति ईमानदार रहना चाहिए और एक सच्चे दृढ़संकल्प के साथ आगे बढ़ना चाहिए, तभी हम अपनी जिंदगी में सफल हो सकते हैं और सफलता की नई ऊंचाइयों को हासिल कर सकते हैं,वहीं इस भाषण को मैं गौतम बुद्ध के द्धारा कहे गए एक प्रेरक वाक्य के माध्यम से विराम देना चाहूंगी।

“न कभी भूतकाल के बारे मे सोचो और न ही भविष्य की चिंता करो, अपने दिमाग को सिर्फ वर्तमान में लगाओ – गौतम बुद्ध

Happy Exams!! All the Best !!

जय हिंद जय भारत..

अगले महीने कुछ और लेकर आपके सामने फिर आऊंगा ।

धन्यवाद

आपका पथ-प्रदर्शक 

धर्मेन्द्र कुमार 

Prayas - February 2024

 

Year - 4                             Month - February 2024                                   Issue - 50

प्यारे बच्चों,

जब किसी स्पेस शटल को अंतरिक्ष के लिए लांच किया जाता है तो उसके लॉन्च के बाद अंतरिक्ष में कदम रखने में मात्र 10 मिनट का समय लग सकता है। लेकिन कोई नहीं जानता कि उसके 10 मिनट की उड़ान के लिए हो सकता है पिछले 10 बरस से भी ज्यादा समय से उसकी तैयारी की जा रही हो। 

इसके लिए दुनिया के best इंजीनियर्स, एस्ट्रोनॉट्स साइंटिस्ट और इनके अलावा भी बहुत सारे लोग दिन रात मेहनत करते हैं। भले ही शटल को gravity पार करने में 10 मिनट का समय लगे दुनिया की करोड़ों नजरें उसकी उड़ान पर होती है। 

इसको बनाने वाले लोगों को पता होता है कि अगर इस बार चूक गए तो बहुत भारी नुकसान हो सकता हैं। कई जाने जा सकती हैं। और तो और फिर शून्य से वही मेहनत स्टार्ट करनी पड़ सकती है। 

वह इस अंजाम को अच्छी तरह जानते हैं। उनके पास कोई ऑप्शन नहीं होता है। जब किसी रनर को 100 मीटर रनिंग का गेम जीतना होता है तो वह उसे जीतने के लिए उसके पहले की प्रैक्टिस सिर्फ 100 मीटर दौड़ के नहीं करता है। 

वह लंबी दूरी दोड़ता है। वह बहुत सारी अलग-अलग एक्सरसाइज करता है। अलग-अलग मौसम में दौड़ता है। थकने के बाद भी दौड़ता है। टूटने के बाद भी दौड़ता है। क्योंकि उसे पता है की वह इसके बिना विजेता नही बन पाएगा।

जब किसी को exam का topper बनना होता है, तो वह सिर्फ एक किताब नही पढ़ता है। वह बहुत सारी किताबें पढ़ता है।

एक मौसम में नहीं पढ़ता है। हर मौसम में पढ़ता है। पढ़ने का मतलब सिर्फ रट्टा मारना नहीं है। पढ़ने का मतलब है ज्ञान हासिल करना। नया सिखना। मन मे जिज्ञासा रखना और हर वक्त आँखों मे एक लक्ष्य रखना कि मैं करूंगा। मुझे करना ही है, मेरे पास और कोई रास्ता नहीं है। 

अब इसको किए बिना मेरी लाइफ का कोई मतलब नहीं है, मेरे पास कोई ऑप्शन नहीं है, मेरे पास कोई दूसरा रास्ता नहीं है।

जबकि तुम्हारे पास रास्ते हैं। तुम्हारे पास option है अपने time को बर्बाद करने का। मोबाइल पर खुद को व्यस्त रखने का, खुद के सपने खुद ही नष्ट करने का। 

बिना जरूरत rest करने का । उस rest को गहरी नींद में convert करने का, क्योंकि तुम्हें जिम्मेदारी का एहसास नहीं है। 

शटल वाले वैज्ञानिकों और इंजीनियरों को पता होता है कि उन पर जिम्मेदारी है। करोड़ों की उम्मीदें हैं। देश की बात है। 

जिम्मेदारियां तो तुम पर भी है, लेकिन फर्क यही है कि तुम्हें जिम्मेदारी का एहसास नहीं है। 

तुम पर जिम्मेदारी है अपनी जिंदगी बेहतर ढंग से जीने की। अपने आप को develop करने की और अपने आप को सक्षम बनाने की। लेकिन फिर भी तुम्हें इसका अहसास नही है। क्योंकि तुम खुद से मेहनत करने के लिए demand नही करते हो। 

तुम्हे बदलाव सिर्फ अपने सपनों में ही अच्छा लगता है, हकीकत में नहीं। वैज्ञानिकों के पास एक chance होता है। पर तुम्हारे पास chance की कोई कमी नहीं है। 

तुम उम्र भर कंपटीशन की तैयारी कर सकते हो, क्योंकि तुम्हारी सफलता की सच्ची उम्मीद करने वाली सिर्फ 8-10 आंखें ही हैं। जहां स्पेस शटल की सफलता को देखने के लिए करोड़ों आंखें होती है, वहीं पर तुम्हारी सफलता की सच्ची उम्मीद करने वाली सिर्फ 8-10 आंखें ही है। जिनमे चार आंखें तुम्हारे लाचार मां बाप की है। जिनकी आँखें तुम्हें हमेशा पढ़ता हुआ ही देखती है। जिनको कभी तुम्हारा behind the seen दिखता ही नहीं है। 

बाकी दो चार कोई खास इंसान और होंगे, जो तुम्हें सफल देखना चाहते हैं। पर इस जिम्मेदारी को तुम skip कर देते हो। उनमे से कोई कुछ बोले तो उनको झूठे प्रॉमिस कर देते हो। ज्यादा कोई बोले तो negative reaction दे देते हो।

जानते हो कि तुम एग्जाम में फेल भी हो गए तो भी पहले का पढ़ा हुआ तो तुम्हारे दिमाग में रहेगा ही। Space मिशन की तरह zero से शुरू नहीं करना।तुम जानते हो की fail होने से किसी की जान नहीं जाने वाली है। 

जिस दिन जिम्मेदारी का एहसास होगा ऊपर वाले से बोलोगे कि मुझे दिन के 100 घंटे चाहिए, मैं दिन में 100 घंटे मेहनत करना चाहता हूं और अब तुम्हारे लिए 20 घंटे मेहनत करना बाएं हाथ का खेल होगा। 

तुम्हें अपने लिए चांसेस की एक लिमिट तय करनी होगी की इस बार तो करना है इसे। तब तुम्हे एहसास होगा कि अगर तुम इस बार नहीं कर पाए तो तुम्हारा शटल क्रैश हो जाएगा। फिर कई साल मेहनत करनी होगी और zero से स्टार्ट करना होगा। 

कई लोगों का दिल टूटेगा, खुद को कोसते रहोगे कि वक्त था, किताबें थी, बस दिल और दिमाग जोड़ना बाकी था, जोड़ लेता तो आज इस 3 घंटे के exam का नतीजा पूरी दुनिया देखती। 

लेकिन इसके लिए तुम्हें runner की तरह 10 गुना ज्यादा मेहनत करनी होगी। स्पेस शटल की तरह एकदम एक्यूरेट प्लानिंग करनी होगी। तुम्हें वक्त की कदर करनी होगी। वक्त की कदर करोगे तो वह तुम्हारा लेवल उपर कर देगा।

तो अब देर किस बात की, रॉकेट वाला मोटिवेशन लाओ अपने अंदर, runner वाला जुनून लाओ अपने अंदर, topper वाली जिम्मेदारी लाओ अपने अंदर। और पूरी मेहनत करो और सफल बन जाओ।

जय हिंद जय भारत..

अगले महीने कुछ और लेकर आपके सामने फिर आऊंगा ।

धन्यवाद

आपका पथ-प्रदर्शक 

धर्मेन्द्र कुमार 

World Radio Day 2024 by KV JANAKPURI
Vasant panchami 2024 by KV JANAKPURI

Fluent Reading

  

इन टिप्स की मदद से बच्चे को डालें Fluent Reading की आदत

अगर आपका बच्चा 2nd या 3rd क्लास का स्टूडेंट है लेकिन अभी भी किताबों को अटक-अटक कर पढ़ता है, तो शायद हमारे ये टिप्स आपके काम आ सकते हैं।
आमतौर पर अपनी बोलचाल में हम अपनी मातृभाषा या क्षेत्रीय भाषा का इस्तेमाल करते हैं। अपनी भाषा में बात करते वक़्त हमारी Fluency बनी रहती है। जब किसी ऐसी भाषा को बोलने का अवसर आता है जिसका इस्तेमाल कभी-कभार किया जाता हो तो फ्लो कम हो जाता है। किसी भी लैंग्वेज को Fluent बोलने के लिए आवश्यक है रीडिंग। क्योकि केवल रीडिंग एक मात्र उपाय है जिसकी वजह से हम किसी भी लैंग्वेज को फ्लूएंटली बोलना सीखते हैं। अगर आप एक पैरेंट हैं और चाहते हैं कि आपका बच्चा किसी स्पेसिफिक लैंग्वेज को फ्लूएंटली बोले तो इसके लिए आपको उसे रीडिंग की आदत ड़ालनी होगी। उनकी रीडिंग स्किल में फ्लूएंसी लाने के लिए आप हमारे ये टिप्स अपना सकते हैं।   

Audio books सुनने की आदत ड़ालें

बच्चे की रीडिंग स्किल को इम्प्रूव करने के लिए सबसे अच्छा तरीका है कि आप उसको audio books करें। आपने देखा भी होगा कि बच्चे किसी भी सॉन्ग को सुनकर आसानी से याद कर लेते हैं। रोजाना audio books सुनने से बच्चा उस भाषा को समझने लगेगा। कुछ ही समय में धीरे-धीरे उसकी रीडिंग स्किल इम्प्रूव होने लगेगी।

Echo रीडिंग

पढ़े जानी वाली किताब के कुछ वाक्यों को बार बार दोहराना ही Echo रीडिंग कहलाती है। आप व्हाइट बोर्ड पर बच्चे को वाक्य लिखकर दें। बच्चे से इन वाक्यों को बार-बार दोहराने को कहें। आप इन वाक्यों को कम्प्यूटर स्क्रीन पर भी लिखकर दिखा सकती हैं। जब बच्चा बार-बार रीड करेगा तो अपने आप ही fluency पैदा हो जाएगी।

साथ में पढ़ें 

यह सबसे पुराना लेकिन असरदार तरीका है जिससे आप अपने बच्चे की रीडिंग स्किल को इम्प्रूव कर सकते हैं। बच्चे को कोई भी स्टोरी बुक या न्यूज़ पेपर पढ़ कर सुनाएं। साथ ही उसको भी पढ़ने को कहें। धीरे-धीरे एक एक लाइन पढ़कर आगे बढ़ते जाएं। आप देखेंगे की कुछ ही दिनों बच्चा आपके साथ पढ़ने लगा है। और रोजाना की प्रैक्टिस से शायद वो आपसे पहले रीड करने की कोशिश करात नज़र आएगा।  

एक्टिविटी के जरिए 




जब हम कोई वाक्य पढ़ते हैं तो उसमें पढ़े गए कुछ शब्दों के अतरिक्त भी कुछ नए शब्द जोड़ लेते हैं। हमको कुछ ऐसा ही बच्चों के साथ भी करना चाहिए। आपकी किसी बुक में कुछ शब्दों को मार्क कर लें। इन मार्क किये गए शब्दों को 4 से 5 शब्दों के ग्रुप में बांट लें। शब्दों को इस तरह ग्रुप में रखें जो एक दूर से थोड़े जुड़े हों। इसके बाद बच्चे से एक ग्रुप के शब्दों का इस्तेमाल करते हुए कोई मीनिंगफूल सेंटेन्स बनाने को कहें। इससे बच्चे की मानसिक कसरत होगी साथ वो इसको मज़े लेकर सीखेगा भी। इस तरह धीरे-धीरे वह fluency में बोलना सीख जाएगा। 
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PTM 2024

पैरेंट्स टीचर मीटिंग में जाते हैं? 

इस बार जरूर करें 4 सवाल


Parenting Tips: ज्यादातर अभिभावक पेरेंट्स टीचर मीटिंग यानी पीटीएम में जाते तो हैं. लेकिन टीचर से कई जरूरी सवाल करना भूल जाते हैं. जबकि बच्चे की ओवरऑल रिपोर्ट जानने के लिए इन सवालों को पूछना जरूरी हो जाता है. जिससे आप अपने बच्चे की स्ट्रेंथ और वीकनेस का पता लगाकर इन पर काम कर सकें और बच्चे को एक बेहतर स्टूडेंट बनने में मदद कर सकें.

दरअसल पीटीएम के दौरान ज्यादातर पेरेंट्स टीचर्स से बच्चों की प्रोग्रेस रिपोर्ट तो डिसकस करते हैं. लेकिन कुछ अहम सवाल करना भूल जाते हैं. जबकि टीचर से बच्चों के बिहेवियर, प्रतिभाओं और कमजोरियों के बारे में भी आपको बात जरूर करनी चाहिए. जिससे समय रहते आप बच्चों के हुनर को निखारने और उनकी कमजोरियों को सुधारने का प्रयास कर सकें. तो आइये जानते हैं इनके बारे में.

बिहेवियर के बारे में सवाल करें
पीटीएम में जाने पर आप टीचर से बच्चे के व्यवहार के बारे में बातचीत जरूर करें. जिससे आपको पता चल सके कि टीचर, फ्रेंड्स और बाकी बच्चों के साथ उसका व्यवहार कैसा है. यदि आपके बच्चे का बिहेवियर स्कूल में किसी के प्रति ठीक नहीं है. तो इसकी वजह का पता लगाएं और उसमें सुधार करने की कोशिश करें. जिससे वो स्कूल में सबके साथ अच्छा व्यवहार कर सके.

सब्जेक्ट के बारे में पूछें
आपका बच्चा किस विषय में तेज है और किस विषय में कमजोर है. इस बारे में भी टीचर से सवाल जरूर करें और सभी विषयों को लेकर जानकारी हासिल करें. जिससे समय रहते वीक सब्जेक्ट में उसकी मदद की जा सके, ताकि उसकी रुचि पढ़ाई में बढ़ सके और वो पढ़ाई में अच्छा परफॉर्म कर सके.

प्रतिभाओं के बारे में बात करें
स्कूल में कई तरह की एक्टिविटीज होती रहती हैं. आपका बच्चा किस में पार्ट लेना पसंद करता है और किस में उसकी रूचि नहीं होती है. इस बारे में भी शिक्षक से बात जरूर करें. जिससे आपको अपने बच्चे की प्रतिभा के बारे में जानकारी मिल सके और आप उसको निखारने के लिए कोशिश कर सकें. साथ ही बच्चे की कमजोरियों के बारे में भी डिसकस करना न भूलें.

क्लास परफॉर्मेंस के बारे में पता करें
बच्चा किस सब्जेक्ट के क्लास में कितना इंट्रेस्ट लेता है और वो क्लास वर्क टाइम पर पूरा करता है या नहीं, इस बारे में भी टीचर से बात जरूर करें. साथ ही इस बात की जानकारी भी जरूर लें कि बच्चा क्लास में आता है या नहीं. ताकि आपको पता चल सके कि कहीं वो किसी वजह से क्लास मिस तो नहीं कर रहा. जिससे आप समय रहते उसको समझा कर बेहतर स्टूडेंट बनने में उसकी मदद कर सकें.

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स्टेज पर जाने से घबराता है आपका बच्चा, 

अपनाएं 5 जबरदस्त तरीके


Parenting Tips: कुछ बच्चे बहुत तेज-तर्रार और बोल्ड होते हैं. लेकिन बावजूद इसके स्टेज पर जाने के नाम से घबराने लग जाते हैं. अगर किसी तरह से मंच पर पहुंच भी जाएं तो घबराहट की वजह से अच्छी तरीके से परफॉर्म नहीं कर पाते हैं. ऐसे में जरूरी है कि कुछ तरीकों की मदद से बच्चों का कॉन्फिडेंस बूस्ट किया जाये. जिससे स्टेज पर जाने का उनका ये डर ख़त्म हो सके. दरअसल कुछ बच्चे स्टेज का नाम सुनते ही पैनिक करने लग जाते हैं. काफी समझाने के बावजूद बच्चों का डर बरक़रार रहता है. ऐसे में कुछ तरीकों की मदद से उनके कॉन्फिडेंस को बढ़ाया जा सकता है. तो आइये जानते हैं उन तरीकों के बारे में जो स्टेज पर जाने के डर को ख़त्म कर सकते हैं.

पॉजिटिविटी पर फोकस करने को कहें
बच्चे मंच पर जाते समय घबराएं नहीं इसके लिए बच्चों के अंदर निगेटिव ख्याल आने से रोकें. साथ ही बच्चों को पॉजिटिविटी पर फोकस करने की सलाह दें. इसके साथ ही बच्चों को डर पर जीत हासिल करना सिखाएं और परफॉर्मेंस को इम्प्रूव करने के लिए प्रेरित करें.

एक्सपर्ट्स की सलाह लें
बच्चों को स्टेज फियर से बाहर निकालने के लिए काउंसलर की सलाह लें. अगर काउंसलर के पास जाना मुमकिन न हो, तो उनका आत्मविश्वास बढ़ाने और डर को खत्म करने के लिए एक्सपर्ट्स की स्पीच और वीडियो दिखाएं. इससे बच्चे धीरे-धीरे खुद को कॉन्फिडेंट महसूस करने लगेंगे और उनका मंच पर जाने का डर भी ख़त्म होने लगेगा.

पढ़ने की आदत डालें
कई बच्चे नॉर्मली तो खूब बात कर लेते हैं लेकिन खास मौके पर कुछ पढ़ना या सुनाना हो तो घबरा जाते हैं. उनकी इस घबराहट को दूर करने के लिए रीडिंग हैबिट्स को डेवेलप करने के लिए कहें. इसके लिए बच्चों को जोर-जोर से किताबें या ऑनलाइन मैग्जीन पढ़ने की सलाह दें. इस तरह से बच्चों की वोकैबलरी स्ट्रांग होगी और वो मंच पर बोलने से घबराएंगे नहीं.

इन्फॉर्मेशन कलेक्ट करें
कई बार ऐसा होता है कि जिस विषय के बारे में मंच पर बोलना होता है, उस बारे में ज्यादा जानकारी न होने की वजह से बच्चे पैनिक कर जाते हैं. ऐसे में जरूरी है कि बच्चों की घबराहट दूर करने के लिए उनको सब्जेक्ट की पूरी जानकारी और तैयारी करने की सलाह दें. इस तरीके से बच्चे परफॉर्म करते समय हिचकिचाएंगे नहीं और धीरे-धीरे स्टेज पर जाने का डर खत्म हो जायेगा.

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