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Prayas - April 2023

 

Prayas - April 2023

                                                      

Year - 3                         Month - April 2023                              Issue - 40

प्यारे बच्चों,

गत माह कुछ ज्यादा व्यस्तता के कारण आपके लिए कुछ नहीं लिख पाया मुझे आशा ही नहीं पूर्ण विश्वास है कि आप सभी लोग अच्छे होंगे I अब आप का नया सेशन शुरू हो चूका है और नए पुस्तकों के साथ पढ़ने का आनंद ले रहे होंगे I इसी क्रम में आज कुछ कसमें वादे भी करें कि कुछ नया करना है इस बार I इसी को लेकर आज का article आपके प्रसास के अंतर्गत -

1- आज नहीं कल से करूँगा 

आज नहीं तो कल, कल नहीं तो परसों, हम इसी तरह अपने कामों को टालते रहते हैं। जो काम आज हो सकता है, उसे कल पर टाल देते हैं और कल आने पर परसों। इसी तरह समय बीतता जाता है और एक-एक दिन के साथ हमारे कामों का बोझ बढ़ता जाता है।

जैसे जैसे हमारे कामों का बोझ बढ़ता जाता है तो हम उन कामों को करना ही छोड़ देते हैं और ऐसे में कई बार हम अपने जरूरी काम भी नहीं कर पाते और फिर बाद में उसी का अफ़सोस करते हैं। अपने काम को टालते रहना या फिर हर काम में काम चोरी करना असफल लोगों की निशानी है। जो काम आप आज और अभी कर सकते हैं उसे कभी भी कल पर ना टालें।

अपने आलस को अपनी जिंदगी से दूर रख कर उस काम को आज ही निपटा लें। ‘डेविड कॉपरफील्ड’ किताब में चार्ल्स डिकेंस कहते हैं, ‘मेरी सलाह है कि जो काम आप आज कर सकते हैं, उसे कल पर ना छोड़े। टालमटोल का रवैया समय का सबसे बड़ा चोर है।’ 

2- बेवजह का डर क्यों 

एक बात से जुड़ी कई बातें होती हैं। उनमें कई आशंकाएं और संभावनाएं छिपी होती हैं। लेकिन उदासी के पलों में हमें केवल डर दिखाई देता है। हम अपने डर पर ज्यादा भरोसा करने लगते हैं। कई बार हमारा डर हमें भविष्य में होने वाले खतरों से बचाता भी है। पर, कई डर बेमतलब के होते हैं।

हम बेवजह एक बात से दूसरी बात को जोड़ते चले जाते हैं। मनोविज्ञानी कहते हैं, डर भी एक feeling है, एक रासायनिक प्रतिक्रिया है। मन में छुपा रहने वाला हर डर सही साबित नहीं होता। कोई Thought अगर आपको ज्यादा परेशान कर रहा है, तो उससे ध्यान हटाने की कोशिश करें।

किसी दूसरी चीज के बारे में सोचने की कोशिश करें। अपने well wishers से बात करें। उस समस्या से जुड़े अनुभवी लोगों से बात करें। दर हमेशा हमारे मन में रहता है। हो सकता है, कुछ बुरा हो भी जाए, पर होगा ही, ये जरूरी नहीं है। अपने डर को स्वीकार करें, पर हमेशा उसे अपने साथ ना रखें। 

3- अपनी परेशानी किसे बताएं 

कुछ लोगों की आदत होती है कि कोई Problem आने पर वो किसी से भी उसके बारे में बातचीत करना पसंद नहीं करते। पर, एक सच ये भी है कि कभी-कभी अपनी परेशानी किसी दूसरे को बता देने भर से ही मन हल्का हो जाता है। और, हो सकता है कि बातों ही बातों में उसका Solution भी निकल आए।

जब हम इस चिंता में पड़ जाते हैं कि हमारी तकलीफ के बारे में सुनकर बाकी लोग क्या सोचेंगे, कहीं मजाक तो नहीं उड़ाएंगे, या फिर हमारा और ज्यादा नुकसान तो नहीं हो जाएगा, इस तरह परेशानी कम होने की बजाय और ज्यादा बढ़ने लगती है। पूरी दुनिया के सामने अपनी परेशानी का ढिंढोरा ना पीटें। इसके विपरीत, अपने किसी दोस्त, family member या फिर ऐसे व्यक्ति जिस पर आप भरोसा करते हों उनके साथ अपनी problem को share करें।

ऐसा करने से मन में एक विश्वास आता है कि मुसीबत के समय हम अकेले नहीं हैं। कोई है, जो हमारा सहारा बनकर हमारे साथ खड़ा रह सकता है। इसलिए अपनी बातों को विश्वास लायक लोगों के साथ share करने से बिलकुल भी ना हिचकें। जो सच है वो कहें और अपनों से एक अच्छी राय जरूर लें। 

4- दुःख से कैसे बचें 

दुख हमें डराता है। उदासी हमें खलती है। हम इनसे बचना चाहते हैं। इसीलिए जब मूड खराब होता है, तो हम जितना जल्दी हो, उसे ठीक करने में लग जाते हैं। खुद को जल्दी खुश करने के लिए हम एक से दूसरे, दूसरे से तीसरे व्यक्ति या चीजों के पीछे भागते रहते हैं। दुखी होने पर खुश होने की और बेचैन होने पर शांत दिखने की कोशिश करते रहते हैं।

यहां एक बात याद रखना जरूरी है। किसी भी चीज की शुरुआत और उसका अंत दोनों मायने रखती है। कोई भी दुःख हो या किसी भी तरह की तकलीफ हो वो तब तक बनी रहती है, जब तक हम उसे पूरी तरह से अलविदा नहीं करते। किसी भी दुःख से जल्दी से उबरने की और सब कुछ ठीक करने की जल्दबाज़ी से कुछ हाथ नहीं आता। मन में छुपी भावनाएं लंबे समय तक हमें परशान करते रहती हैं। इसलिए तकलीफ को स्वीकार करना, उसका सामना करना जरूरी होता है।

कुछ दुख ऐसे भी होते हैं जो कभी नहीं जाते। लेकिन समय के साथ उस दुख से, उससे जुड़ी भावनाओं से हम संतुलन बनाना सीख जाते हैं। मनोविज्ञानी एमी जॉनसन कहती हैं, ‘हर चीज हमारे काबू में नहीं होती। ऐसा करने की कोशिश करना हमें तनाव में डाल देता है। हमें भरोसा रखना चाहिए कि उदासी के ये भाव हमेशा के लिए नहीं हैं, धीरे-धीरे सब ठीक हो जाएगा।’ 

5- एक दुनिया जो हम खुद बनाते हैं 
दुनिया किसी को नहीं छोड़ती। हम सभी की जिंदगी में कुछ लोग ऐसे जरूर होते हैं, जिनका काम टांग खिंचाई करना, हमारा मज़ाक उड़ाना, हमें पीछे धकेलना या फिर नुकसान पहुंचाना होता है। पर, दुनिया यहीं तक नही होती। इससे साथ-साथ एक दुनिया वो भी है, जो हम अपने साथ बनाते चलते हैं।

दूसरों की बातों पर ध्यान ना देकर, खुद के लिए जब हम कुछ करते हैं तो अपनी उस दुनिया को हम और बेहतर बनाते हैं। हर बार जब किसी मुसीबत या दुःख के बाद हम फिर से खड़े होते हैं, तो वो दुनिया और बड़ी और मज़बूत हो जाती है। ‘ए फेयरवेल टु आर्म्स’ में अर्नेस्ट हेमिंग्वे कहते हैं, ‘दुनिया हर किसी को तोड़ती है, उन्हीं में से बहुत सारे लोग हैं, जो टूटने के बाद और भी मजबूत हो जाते हैं।’

6- सीखने का सही मौका 

जब कोई आखिरी मिनट में बार-बार किसी योजना में बदलाव करता है, तो गुस्सा आना एक natural सी बात है। ऐसा होने पर हम शिकायतें करते हैं और आपस में कहासुनी होने लगती है। पर कई बार हमे सच में किसी बदलाव की जरूरत होती भी है। लेकिन तब क्या? जेन हेबिट के संस्थापक लिओ बॉबटा कहते है, ‘बदलावों से बचने की बजाय, हमें उन्हें कुछ नया सीखने का मौका समझना चाहिए।

इससे हमारे लिए हालात के अनुसार ढलना और अपना फोकस बनाए रखना आसान हो जाता है। किसी भी बदलाव से डरने की बजाय उसे आगे बढ़ने का रास्ता समझना हमें सफल बनाता है। बदलाव हमेशा नई चुनौती लाता है और चुनौती ही हमे कुछ नया सीखाती है। साथ ही जब किसी बदलाव से हमे कोई अच्छा result मिलता है तो हम मिलने वाले मौकों और साथ के लोगों के प्रति आभारी हो जाते हैं और उनसे बेहतर ढंग से जुड़ भी पाते हैं।’

इस माह इतना ही... अगले माह कुछ और…

नए सेशन की बहुत सारी बधाईयाँ

धन्यवाद

आपका पथ-प्रदर्शक 

धर्मेन्द्र कुमार 

पुस्तकालयाध्यक्ष

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