💬Thought for the Day💬

"🍃🌾🌾 "Your competitors can copy your Work, Style & Procedure. But No one can copy your Passion, Sincerity & Honesty. If you hold on to them firmly, The world is yours..!! Follow your Principles." 🍃💫🍃💫🍃💫🍃💫🍃💫🍃

TIDE TURNERS PLASTIC CHALLENGE

 

TIDE TURNERS PLASTIC CHALLENGE ( UNEP & CEE )




BEAT THE PLASTIC POLLUTION

The Tide Turners Plastic Challenge (TTPC) is the world’s largest youth-led movement, committing to take action to reduce plastic waste, in their lives and communities at large. UNEP in partnership with CEE (Centre for Environment Education India) and WWF- India has adopted and rolled out the challenge in India since 2019.

The challenge engages youth in cutting back on single-use plastic, ensuring effective plastic recycling and finding sustainable alternatives to plastics.

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Challenge Activities 

Entry Level  

Leader Level 

Champion Level

Who can participate?

 The challenge is open for group and individual participation. Group participation is for g Schools (Eco clubs, NCC, Scouts and Guides), Colleges (Youth clubs, NCC, Scouts and Guides)  Corporates and offices, and Informal groups like rural youth, differently abled, marginalized and indigenous groups. 

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With the help of this educational blog created by K.V No. 2, Jaipur, We will get PowerPoint Presentations, Videos, Pdfs, E content, and Learning and Teaching Materials from classes 1 - 12.

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Prayas - May 2023

 

                                                      

Year - 3                         Month - May 2023                              Issue - 41

प्यारे बच्चों,

इस माह में गर्मी अपने प्रचंड रूप में है. छुट्टी हो गयी है अपने घरों में रहकर पढाई करें तथा नई बैटन को सिखने का क्रम जारी रखें इस माह में बात करने के सही तरीका पर बात करते हैं तो चलिए शुरू करते हैं. 

अगर आप अपने मुँह से निकली हर बात में से एक सही इरादा लाते है तो ये ध्वनिया आपके भीतर एक खाश तरिके से समन्धित होंगी। आपकी बोलने में आवाजों की रेंज जितनी कम होगी आपकी वाक्य शुद्धि उतनी ही कम होगी। तो अब आपको इसे एक सक्रिय जागरूकता और इरादे के साथ सुधारना होगा। बोलने का छमता मनुष्य को दिया गया एक उपहार है। इस इंसान जितनी जटिल आवाजे निकल सकता है वैसा कोई दूसरा जीव नहीं कर सकता।

लेकिन हां एक हाथी की चिंगाड हमारी आवाज से कही तेज़ हो सकती है। अगर हाथी आपके पास आकर जोर से चिंगाड दे तो बस उस आवाज से ही आपके हाथ-पैर ढीले पद जायेंगे। शेर दहाड़ सकता है, पक्षी भी बहुत सी आवाजे निकल सकते है। पर कोई भी जीव उस जटिलता के साथ नहीं बोल सकता जैसे हम बोल सकते है। 

भाषाओ को सोच समझ कर इस तरह से रचा गया था ताकि इसका उच्चारण ही शरीर को सुद्ध कर दे। संस्कृत भाषा ऐसे ही तैयार की गयी थी। हम में से अधिकतर लोग सायद अंग्रजी में बात करते है। सारी भाषाओ में से जरुरी नहीं की सारी भाषा, भारतीय भाषाओ या देशी बोलियों की तुलना में स्पेनिश या लैटिन या चीनी भाषा के तुलना में।

अंग्रेजी भाषा में ध्वनियों का विस्तार काफी कम है बहुत ही कम। यह फर्क है की अगर आप जन्म से केवल अंग्रजी ही बोल रहे है तो आपको कोई दूसरा मन्त्र या कोई दूसरी भाषा बोलना इतना मुश्किल लगता है क्योकि आप वाणी के एक सीमित रेंज को इस्तेमाल कर रहे है। तो आपके बोलने में आवाजों की रेंज जितनी कम होगी आपकी वाक्य शुद्धि उतनी ही कम होगी। तो अब आपको इसे एक सक्रीय जागरूकता और इरादे के साथ सुधारना होगा एक चीज़ है ध्वनि और दूसरी चीज़ है ध्वनि के पीछे का इरादा।

आप बहुत प्यार के साथ “ये” कह सकते है या किसी दूसरी भावना से भी “ये” कह सकते है अब ये दोनों शरीर पर एक साथ असर पैदा नहीं करेगा। कार्मिक परिक्रिया का अहम् हिस्सा इरादे में होता है ना की किये गए कार्य में इसी तरह कर्म का मुख्य हिस्सा इरादे में है ना की ध्वनि में लेकिन अगर ध्वनिओं की संरचना वैज्ञानिक तरह से हुयी है जैसे की मंत्रो में या संस्कृत भाषा में तो अगर आप इन्हे बिना किसी जागरूकता के भी बोलते है तो भी आपको लाभ मिलेगा।

क्योकि ध्वनियों की संरचना की प्रकृति ही ऐसी है। लेकिन अब हम ऐसी भाषाये बोल रहे है जो उस तरह से नहीं बनी है तो बेहतर होगा की इसके इरादे पर ध्यान दिया जाये। मेरे ख्याल से इसके पहले मैं आपको कई बार आपको एक महिला के बारे में बताया है जो दूसरे विश्वयूद्ध में बंदिश से बहार निकली और तब उसने इस संकल्प लिया की अगर मैं अब किसी से कुछ कहूँगी और ये मेरे अंतिम शब्द हो ऐसा हो सकते है।

अगर इस व्यक्ति को कहे ये मेरे अंतिम शब्द होने वाले है तो मैं कैसे बात करूंगा। मैं हर किसी से सिर्फ उसी तरह से बात करूंगा यह आपके वाक्य शुद्धि करने का सबसे आसान तरीका है। वाक्य शुद्धि का मतलब है अपने मुँह से निकली हुयी ध्वनियों को शुद्ध करना, ध्वनियों के प्रति जगरूत होना ध्वनियों के विज्ञान या हमारे ऊपर पड़ने वाले इनके असर के प्रति जगरूत होना और इस तक कैसे पहुंचे यह एक अधबुध चीज़ है इसकी समझ एक जीवन काल में नहीं आने वाली।

यह नाधि योग है इसमें बहुत मसक्कत लगती है तो उसके लिए नाधि योग करने के लिए आपके पास एक मन्त्र है। अगर आप इसे हर जगह जाती रखते है। मैं कभी इसके बारे में सोचता भी नहीं। लेकिन अगर मैं बैठा हूँ खड़ा हूँ या कुछ भी मेरे अंदर संभूशिव बस होता रहता है।

ऐसा नहीं है की मैं बोलना चाहता हूँ बस मेरे सांसे खुद के खुद ये आकर ले लेती है। इस तरह से आप भी इसे अपने जीवन में ला सकते है बहुत से लोग ने अपनी बात चीज़ में गंदे शब्दो का इस्तेमाल करना सिख लिया है। या इन दिनों खाश कर मैं देख रहा हूँ की अमेरिका में युवा वर्ग एक शब्द से पूरा वाक्य बनाने लगे है।

मैं भारत में देखता हूँ की कई लोगो ने ये चीज़े सिख ली है और जब वे इन शब्दो को बोलते है लोग Shit-Shit कहते रहते है। मैं उन्हें याद दिलाता रहता हूँ मेहरबानी करके यहाँ मत कीजियेगा। तो सिस्टम में सही तरह का स्पंदन लाने का यह एक तरीका है यह महत्वपूर्ण इस लिए है क्योकि आप अपने भीतर यू ही मौन हो जाते है तो इससे बेहतर और कोई दूसरा तरीका नहीं है यही परम तरीका है अगर आप अपने भीतर यू ही अचल हो सकते है तो ये सबसे अच्छा तरीका है।

अगर ऐसा नहीं हो रहा है तो आगला सबसे अच्छा तरीका ये है की आप शिव कह सकते है यह पुण्यता के सबसे करीब है। वार्ना अगर बस एक शब्द आपके लिए काम नहीं करता तो आप एक थोड़ा ज्यादा लम्बा गाने के लिए आपको एक लाइन चाहिए। तो आप ब्रम्भानंद स्वरूपा या कोई और जप कर सकते है या वैराग्य के उन 5-6 मंत्रो में से जो भी आपने चुना है आप जिसके साथ भी समन्धित हो बस उसे कीजिये।

सबसे बढ़कर आप अपने द्वारा बोली गयी हर ध्वनि में सही इरादा लाईये। अगर आप अपने मुँह में निकली गयी हर बात में से एक सही इरादा लाते है तो ये ध्वनिया आपके भीतर एक खाश तरह से समन्धित होंगी। सही किस्म के समंधान की इस बुनियाद का होना जरुरी है। अगर आप इस मानव तंत्र को एक ऊँची सम्भावना की तरह इस्तेमाल करना चाहते है वरना ये हमेशा आपके पीछे घिसटता रहेगा।

अगर आप चाहते है की ये एक बड़ी सम्भावना बने तो इसके पास सही किस्म की समंधान की बुनियाद होनी चाहिए और आपके द्वारा बोली गयी ध्वनियों की शुद्धता ये वाक्य सुद्दी उसका एक अहम् हिस्सा है और या आप पूरी तरह स्थिर या मौन हो सकते है तो उसके जैसा कुछ भी नहीं है।

इस माह इतना ही... अगले माह कुछ और…

धन्यवाद

आपका पथ-प्रदर्शक 

धर्मेन्द्र कुमार 

पुस्तकालयाध्यक्ष