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Earth Day 2023

 

पृथ्वी दिवस 



नामपृथ्वी दिवस
कब होता है22 अप्रैल
घोषणा कब हुईसन 1969 में
किसने कीअमेरिकी सीनेटर गेलोर्ड नेल्सन

पृथ्वी दिवस का इतिहास 

हम सब इस बात से परिचित है की पहला पृथ्वी दिवस साल 1970 में मनाया गया था, परंतु इस दिन की शुरुआत किस घटना से हुई यह बात बहुत ही कम लोग जानते है. साल 1969 में केलिफोर्निया में बहुत बड़े पैमाने पर तेल रिसाव हुआ, जिससे आहत होकर नेल्सन मंडेला नामक व्यक्ति राष्ट्रीय स्तर पर एक प्रेरक कार्यक्रम आयोजित करने के लिए प्रेरित हुये. इस कार्यक्रम का मुख्य उद्देश्य राष्ट्रीय स्तर पर लोगों को पर्यावरण संबंधित मुद्दों के लिए जागरूक करना था.

22 अप्रैल 1970 के दिन अमेरिका के कई कॉलेज और स्कूल में पढ़ने वाले विद्यार्थियों के साथ लगभग 20 हजार अमेरिकी लोगों ने एक स्वस्थ पर्यावरण के उद्देश्य से एक राष्ट्रीय आंदोलन में भाग लिया और एक रैली का आयोजन किया. पर्यावरण प्रदूषण के विरूध्द होने वाले इस आंदोलन में अमेरिका के हजारो कॉलेजों और विश्वविद्यालय के युवा शामिल थे. इस समय इन लोगों का प्रदर्शन तेल रिसाव, प्रदूषण फैलाने वाली फ़ैक्ट्रियों, ऊर्जा सायंत्रों से होने वाले प्रदूषण, मलजल प्रदूषण, विषैले कचरे, कीटनाशक, जंगलों का नाश और वन्य जीवों का विलुप्तिकरण आदि मुद्दों पर आधारित था. इसके बाद धीरे-धीरे पर्यावरण संरक्षण का यह मुद्दा अमेरिका से बढ़कर 141 देशों के 200 लोगों मिलियन लोगों तक पहुँच गया. 22 अप्रैल 1990 में आयोजित पृथ्वी दिवस के दिन शामिल सभी देशों में रिसाइकलिंग की प्रोसैस को अपनाने के लिए प्रोत्साहन दिया गया. इसके बाद साल 2000 में हायेज द्वारा विश्व स्तर पर ग्लोबल वार्मिंग के मुद्दे पर ध्यान केंद्रित करवाया गया और इसी समय स्वच्छ ऊर्जा के मुद्दे को भी उठाया गया. और साल 2000 में ही इंटरनेट के जरिये पूरी दुनिया में पृथ्वी दिवस के अंतर्गत कार्य करने वाले कार्यकर्ता जुड़े. इंटरनेट की इस पहल के द्वारा इस वर्ष पूरी दुनिया के लगभग 5000 समूह एक दूसरे से संपर्क में आए और इसमें लगभग 180 देशों के सैकड़ो मिलियन लोगों ने हिस्सा लिया. इस तरह से साल 1970 से लेकर अब तक हर वर्ष पृथ्वी दिवस के कार्यक्रम का स्तर हर वर्ष बढ़ता चला गया और हर वर्ष कई देश और हजारों, लाखों लोग इसमें शामिल होते चले गए.

पृथ्वी दिवस का महत्व  

इसका महत्व इसलिए बढ़ जाता है, कि ग्लोबल वार्मिंग के बारे में पर्यावरणविद के माध्यम से हमें पर्यावरण पर पड़ने वाले प्रभाव का पता चलता है. जीवन संपदा को बचाने के लिए पर्यावरण को ठीक रखने के बारे में जागरूक रहना आवश्यक है. जनसंख्या की बढ़ोतरी ने प्राकृतिक संसाधनों पर अनावश्यक बोझ डाल दिया है. इसलिए इसके संसाधनों के सही इस्तेमाल के लिए पृथ्वी दिवस जैसे कार्यकर्मो का महत्व बढ़ गया है. लाइव साइंस आईपीसीसी अर्थात जलवायु परिवर्तन पर अंतर-सरकारी पैनल के मुताबिक 1880 के बाद से समुद्र स्तर 20% बढ़ गया है, और यह लगातार बढ़ता ही जा रहा है. यह 2100 तक बढ़ कर 58 से 92 सेंटीमीटर तक हो सकता है, जो की पृथ्वी के लिए बहुत ही ख़तरनाक है. इसका मुख्य कारण है ग्लोबल वार्मिंग की वजह से ग्लेशियरों का पिघलना जिसके करण पृथ्वी जलमग्न हो सकती है. आईपीसीसी के पर्यावरणविद के अनुसार 2085 तक मालदीव पूरी तरह से जलमग्न हो सकता है.

थ्वी दिवस का महत्व मानवता के संरक्षण के लिए बढ़ जाता है, यह हमें जीवाश्म इंधन के उत्कृष्ट उपयोग के लिए प्रेरित करता है. इसको मनाने से ग्लोबल वार्मिंग के प्रचार पर सकारात्मक प्रभाव पड़ता है, जो की हमारे जीवन स्तर में सुधार के लिए प्रेरित करता है. यह उर्जा के भण्डारण और उसके अक्षय के महत्व को बताते हुए उसके अनावश्यक उपयोग के लिए हमे सावधान करता है. कार्बन डाई ऑक्साइड और मीथेन उत्सर्जन की गतिविधियों की वजह से पर्यावरण अपने प्राकृतिक रूप में स्थिर रहता है.1960 के दशक में कीटनाशकों और तेल के फैलाव को लेकर जो जनता ने जागरूकता दिखाई थी, उस जागरूकता की वजह से नई स्वच्छ वायु योजना बनी थी. इस वजह से अब जो भी नया विधुत सयंत्र बनता है, उसमे कार्बन डाइऑक्साइड को कम मात्रा में उत्सर्जित करने के लिए अलग यन्त्र लगाया जाता है. जिससे की पर्यावरण में इसका कम फैलाव हो और नुकसान कम हो.

इसलिए अप्रैल 22 को सीनेटर नेल्सन ने कहा कि वह व्यक्ति इस दुनिया में पर्यावरण से अलग नहीं रह सकता, जो अंतराष्ट्रीय दिवस को छुट्टी का दिन न बना कर दुनिया भर के लोगों को ग्लोबल वार्मिंग के लिए जागरूक करता है और प्रौधोगिकी के क्षेत्र में निवेश करता हो.

पृथ्वी दिवस का नामकरण   

कैलिफोर्निया के सांता बारबरा में 1969 में गायलोर्ड नेल्सन को बड़े पैमाने पर तेल गिरने के बाद, बिजली सयंत्र, प्रदुशित अपशिष्ट पदार्थों, जहरीली धुआं, जंगल की हानि और वन्यजीवों के विलुप्त होने के खिलाफ़ पर्यावरण पर ध्यान के लिए इस दिवस को मनाने का विचार आया. वह छात्र युद्ध विरोधी गतिविधियों से बहुत प्रेरित हुए. उन्होंने ऐसा महसूस किया कि अगर हवा और जल को इन जागृत नव चेतना के साथ सम्मलित कर दे, तो वह पर्यावरण चेतना को राष्ट्रीय राजनीतिक एजेंडे में सम्मिलित कर इसको आगे बढ़ा सकते है. सीनेटर नेल्सन ने यह घोषणा की और राष्ट्रीय मीडिया के सामने अपने विचार रखते हुए पर्यावरण पर राष्ट्रीय शिक्षा के विचार को कार्य रूप में लाने के लिए, उन्होंने रिपब्लिकन कांग्रेस नेता पीट एमसी क्लोस्केय और डेनिस हायेस को राष्ट्रीय समन्वयक के रूप में भर्ती किया. उन्होंने देश भर में इसे बढ़ावा देने के लिए 85 राष्ट्रीय कर्मचारियों की परीक्षा ली. उसके बाद 22 अप्रैल को परीक्षा का परिणाम घोषित होने के बाद उन कर्मचारियों का चुनाव किया गया. 

नेल्सन के अनुसार पृथ्वी दिवस के नाम को कई लोगो द्वारा सुझाया गया इसके साथ ही उनके दो दोस्त जिनमे से एक जुलियन कोएनिग थे, जोकि न्यू यॉर्क विज्ञापन में कार्यकारी थे. साथ ही वह नेल्सन की संगठित समिति के भी सदस्य थे उन्होंने भी सुझाव दिया. संयोगवश 22 अप्रैल को जिस दिन को पृथ्वी दिवस के लिए चुना गया, वह दिन नेल्सन का जन्म दिन भी था. इसके नाम को नेल्सन ने पर्यावरण शिक्षा पत्र कहा लेकिन राष्ट्रीय समन्वयक डेनिस हेज ने इसे मीडिया के सामने पृथ्वी दिवस के रूप में संबोधित किया, जो कि व्यावहारिक रूप से इस्तेमाल होने लगा.          

पृथ्वी दिवस का गीत 

पृथ्वी दिवस को अंतराष्ट्रीय स्तर पर मनाते हुए उनके लिए गीत का निर्माण हुआ है इसको कई देशों में गाया जाता है. यह दो प्रकारों में गया जाता है एक समकालीन कलाकारों द्वारा गाये गए गीत और दूसरा आधुनिक कलाकरों द्वारा. यूनेस्को ने भारतीय कवि अभय कुमार की रचनात्मक और प्रेरित करने वाले गीत के लिए प्रशंसा की है. इसे कई भाषाओँ में जैसे अरेबिक, चाइनीज, अंग्रेजी, फ्रेंच, रशियन, स्पेनिश में गाया गया है. इसको और भी दो भाषाओँ में गाया गया है हिंदी और नेपाली.

2013 के पृथ्वी दिवस सम्मलेन के अवसर पर कपिल सिबल और शशि थरूर ने नई दिल्ली के भारतीय सांस्कृतिक परिषद् कार्यक्रम में इसे लागु किया. बाद में शैक्षिक उदेश्यों के लिए उपयोग करना शुरू किया. पृथ्वी दिवस गाने को ब्रिटिश काउंसिल स्कूल के ऑनलाइन स्कूल, रीजेंट स्कूल, यूरो स्कूल, काठमांडू, लोरेटो डे स्कूल कोलकाता के साथ ही और भी स्कूलों में भी गाया गया. इस गीत को लोग ‘पृथ्वी गान’ के रूप में गाते है. इस तरह के गीत मानवता के लिए वैश्विक संगठन द्वारा भी समर्थित है.

यू. एस. काउंसिल जनरल जेनिफ़र मैकेंतिर ने पृथ्वी गीत के लिए कुमार की प्रसंशा की. अकादमी अवार्ड विजेता हॉलीवुड के डायरेक्टर जेफ्फिरे डी. ब्राउन ने कहा की यह मानवीय लोगों के लिए उत्सव के रूप में है.   

पृथ्वी दिवस की प्रमुख घटनाएँ 

पृथ्वी दिवस यूनाइटेड स्टेट अमेरिका अर्थात संयुक्त राष्ट्र ने 1995 तक 5 पृथ्वी दिवस सामारोह का समन्वय किया. फिर 25 वी वर्षगाठ के बाद इसको बैटन को सौप दिया गया. फिर 2007 का पृथ्वी दिवस सबसे बड़े तौर पर मनाया गया, इसमें बहुत से देशों के लोगों ने भाग लिया जैसे कि कीव, यूक्रेन, कैरकस, वेनुजुएला, मनिला, टवालू, फिलीपींस, टोगो, मेड्रिड, स्पेन, लंदन और न्यू यॉर्क. 2012 के कैलिफोर्निया में जनसंख्या स्थिरीकरण समूह को मानव सोच से बदलकर उसके मुख्य धारा पर्यावरण विकास की तरफ ध्यान दिया गया. छात्रो और युवाओ को भी पर्यावरण सम्बन्धी समस्याओं को कम करने में रूचि लेने के लिए जागरूक किया गया.

पृथ्वी दिवस 2017 के लिए इसके नेटवर्क संस्था ने पर्यावरण और जलवायु साक्षरता विषय के बारे में लोगो को जागरूक करने के लिए 4 टूलकिट्स का निर्माण किया. जो निम्न प्रकार से है-

  1. पृथ्वी दिवस कार्यवाही टूलकिट्स – यह पर्यावरण परिवर्तन पर लोगों को जागरूक कर उन्हें शिक्षित करने का कार्य करेगा. सारी कार्यवाहियों पे नजर रखेगा.
  2. पर्यावरणीय शिक्षण टूलकिट्स
  3. स्थानीय सरकारों से बातचीत के लिए ग्लोबल दिवस टूलकिट्स  
  4. मोबिलिज़े यू के कैम्पस में शिक्षण के बारे में टूलकिट्स

इसके माध्यम से पर्यावरण के बारे में ज्यादा जानकारी प्राप्त कर हम इसके बचाव में अपना योगदान दे सकते है. 2017 में भी हर वर्ष के भातिं पृथ्वी दिवस के दिन विज्ञान रैली के रूप में  मार्च किया गया और वाशिंगटन के नेशनल मॉल में पर्यावरण शिक्षा पर बात हुई और इसको पढ़ा गया.

पृथ्वी दिवस की थीम 

अंतराष्ट्रीय स्तर पर मनाए जाने वाले हर कार्यक्रम की हर वर्ष की एक अलग थीम होती है जिसके द्वारा उस वर्ष उस विशेष मुद्दे पर लोगों का ध्यान आकर्षित करने का प्रयास किया जाता है. ठीक इसी प्रकार से विश्व स्तर पर मनाए जाने वाले पृथ्वी दिवस की भी एक अलग थीम है होती है, पिछले कुछ वर्षो में आयोजित पृथ्वी दिवस की थीम निम्न थी-

वर्षथीम
2010जलवायु परिवर्तन पर एक वैश्विक जनमत संग्रह
2011हवा को साफ करो
2012पृथ्वी को संवारना
2013जलवायु परिवर्तन का सामना
2014ग्रीन सिटिस
2015अब नेतृत्व करने की हमारी बारी
2016पृथ्वी के लिए पेड़
2017पर्यावरण और जलवायु साक्षारता
2018प्लास्टिक प्रदूषण का समापन
2019प्रोटेक्ट अवर स्पाइसेस  
2020क्लाइमेट एक्शन
2021रिस्टोर अवर अर्थ
2022हमारी धरती, हमारा स्वास्थ्य

 इस तरह से यह पीछले 12 वर्षो में आयोजित पृथ्वी दिवस की थीम थी.

साल 2023 में आयोजित पृथ्वी दिवस की गतिविधियां 

साल 2019 में आयोजित पृथ्वी दिवस का थीम “प्रोटेक्ट अवर स्पाइसेस” है और इस वर्ष पूरी दुनिया में मौजूद देश इस थीम पर आधारित गतिविधियों के द्वारा इस दिन को मनाएंगे.

पृथ्वी पर हमे उपहार स्वरूप लाखों प्रजातियां मिली है, जिन्हें हम जानते और प्यार करते है आपको यह जानकार आश्चर्य भी होगा की हम अब तक इनमें से कई प्रजातियों को जान पाने में असक्षम भी रहे है. हमारे द्वारा उत्पन्न प्राकृतिक असंतुलन और प्रदूषण से अब तक कई प्रजातियां विलुप्त भी हो चुकी है. इस समस्या से निपटने के लिए इस वर्ष इसे ही मुद्दा बनाया गया है, और इस वर्ष इसके उद्देश्य निम्न है –

  • लाखों प्रजातियों के विलुप्त होने की दर और इसके कारण और परिणामों के संदर्भ में लोगों को जागरूक करना .
  • कुछ ऐसी प्रमुख नीतियों पर जीत हासिल करें जो विभिन्न प्रजातियों के विभिन्न समूहों और विभिन्न व्यक्तिगत प्रजातियों की रक्षा करें और साथ ही उनके आवास को भी सुरक्षित रखे.
  • एक ऐसे वैश्विक आंदोलन की शुरुआत करें, जो प्रकृति और इसके मूल्यों को बढ़ावा देता है.
  • प्रत्येक व्यक्ति को प्लांट बेस्ड डाइट को अपनाने और कीटनाशक को शाकनाशी के प्रयोग को रोकने के लिए प्रोत्साहित करें.

पृथ्वी दिवस के बारे में कुछ प्रसिद्ध हस्तियों के चर्चित बोल 

  1. ग्रेग द्वोर्किन के अनुसार पृथ्वी दिवस का कार्यक्रम 175 देशों में एक अरब से ज्यादा लोगों को पृथ्वी दिवस के रूप में जोड़ कर पर्यावरण के बचाव के लिए प्रेरित करता है, न की यह चाय पार्टियों के लिए प्रस्तावित करता है.
  2. जेरी कोस्टेल्लो ने लोगो को उत्साहित करते हुए ये आह्वान किया और कहा कि इस पृथ्वी दिवस के जश्न में मै सभी को हमारे राष्ट्र के नदियों, झीलों, पानी के साफ़ सफाई और उनके गुणवत्ता में सुधार लाने के लिए सभी सीनेटरों या सदन के सदस्यों से अनुरोध करता हूँ कि वो इस क्षेत्र में निवेश करे.
  3. जक्की स्पीयर के अनुसार हर दिन पृथ्वी दिवस होना चाहिए हर दिन हमें सुरक्षित जलवायु के लिए भविष्य में निवेश करते रहना चाहिए, इसके लिए मै हमेशा वोट देने के लिए तैयार हूँ.
  4. बैरी कोम्मोनेर के अनुसार 1970 का पृथ्वी दिवस सबसे महत्वपूर्ण था. अमेरिकी लोग पर्यावरण के खतरे को समझते हुए इस पर कार्यवाही की मांग कर रहे थे.
  5. जय इन्स्ली के अनुसार हमने पृथ्वी दिवस के रूप में एक बड़ी सफलता पाई है, क्योकि इस तरह के कार्यक्रम को देश ने बहुत ही भावनात्मक तरीके से गले लगते हुए, और इस पर दूरदर्शी सोच रखते हुए पर्यावरण बचाव और उर्जा संरक्षण नीति को बढ़ावा मिला है.
  6. इंग्रिड न्यूक्रिक के अनुसार, अगर हम जलवायु परिवर्तन के विनाशकारी प्रभाव को रोकते हुए, और भूमि, वायु, पानी और अन्य प्राकृतिक संसाधन को रोकते हुए, जानवरों के दुखों को कम करने का प्रयास करते है तो हमारे लिए हर दिन ही पृथ्वी दिवस है और इसे हमे हर दिन मनाना चाहिए.
  7. स्कॉट पीटर्स के अनुसार, पृथ्वी दिवस हमे अपने ग्रह को रहने योग्य बनाने के लिए और इसे सुरक्षित रखने के लिए हम क्या कर रहे है, इस बात को प्रतिबिम्बित करती है, और हमे प्रोत्साहित करती है.
  8. वेन्डेल बेर्री के अनुसार, इस पृथ्वी पर जितनी भी प्रजाति है अर्थात हम सभी एक समान है.
  9. हेनरी डेविड के अनुसार, भगवान का शुक्र है कि इन्सान उड़ नहीं सकता, नहीं तो यह आकाश को भी गन्दा कर देता पृथ्वी की तरह और उसे बर्बादी के कगार तक पंहुचा देता.
  10. चार्ल्स ए. के अनुसार, आदमी को पृथ्वी के महत्व को जानने के लिए सबसे पहले उसे इसके मूल्यों को पहचानते हुए इसे महसूस करना चाहिए, भगवान ने पृथ्वी और इस पर बसे जीवों इंसानों को सरल बनाया लेकिन मनुष्य ने सरल जीवन को भी उलझा दिया.
  11. रहेल कार्सन के अनुसार जो लोग पृथ्वी की सुन्दरता को लम्बे समय तक देखना चाहते है और इसे बचाए रखना चाहते है, तो वो इसके भण्डारण की ताकत को भी बहुत अच्छी तरह से समझते है.
  12. रविन्द्र नाथ टैगोर के अनुसार पृथ्वी को पेड़ से सजाकर स्वर्ग जैसा बनाने के लिए प्रयास करते रहना चाहिए, पेड़ से बाते करना उन्हें सुनना ये सब महसूस करना ही स्वर्ग सी अनुभूति देता है.
  13. अमित रे के अनुसार भगवान स्वर्ग बनाना चाहते थे और उन्होंने पृथ्वी जैसे गृह का निर्माण स्वर्ग के रूप में कर दिया, पुरे ब्रह्माण्ड में पृथ्वी जैसा जीवन, सुन्दरता, प्यार और इतनी शांति कही भी नहीं मिलेगी, इसलिए जब की आप इस पृथ्वी के निवासी है तो आप यहाँ रहने का आनंद ले और मिल जुल कर सभी प्राणियों केसाथ रहे.
  14. विक्टर पस्काविच के अनुसार, यह पृथ्वी दिवस है तो क्या यह हम मान सकते है कि दूसरों की तुलना में हम ज्यादा पेड़ लगाकर बदलाव कर सकते है.
  15. ऐलिस वालकर के अनुसार, मैंने ये मान लिया था की धरती और इससे जुड़े भावना को बचाना मुश्किल है लोग इसे विनाश की तरफ ले जा रहे है, लेकिन पृथ्वी पर रहने वाले जीव बहुत बुद्धिमान है क्योकि वे इसे बचाए रखने के लिए अपनी जवाबदेही को पहले ही समझ के इसके लिए प्रयासरत है.  


PLEDGE - EARTH DAY

 

PLEDGE - EARTH DAY ( 22.04.2023 )


ON THE OCCASION OF EARTH DAY, LET`S TAKE A PLEDGE TO SAVE AND RESTORE OUR BELOVED MOTHER EARTH.
YOU WILL GET A CERTIFICATE OF COMMITMENT FROM THE GOVERNMENT OF INDIA.

TO TAKE PLEDGE



WORLD HERITAGE DAY

 

WORLD HERITAGE DAY -18 APRIL 2023 - 

KNOW ABOUT THE HERITAGE SITES OF INDIA

 

  Theme 2023- Heritage Changes, focused on critical issues of climate actions on the heritage sites.

About 6G

WHAT IS 6G?


  • 6G is the next generation of wireless telecommunications technology, which is expected to offer significantly faster data speeds, higher bandwidth, and lower latency than 5G.

  • It is still in the development stage, and its commercial rollout is not expected for several years.

  • However, many countries, including India, are already working on developing 6G technology and setting standards for its implementation.

Differences between 6G and 5G

  • While 6G will offer faster loading times, improved video quality, and faster downloads, like every new generation of technology, it is unclear how much better it will be.

  • With latency already at the speed of light on existing networks, the benefits of 6G will depend on how different groups plan to use the spectrum.

  • Satellite constellations will join telecom towers and base stations, integrating networks and extending them to rural areas.

Motivations for pursuing 6G

  • Encourage local industry: The Indian government hopes to encourage local manufacturing of telecom gear and support Indian companies and engineers in international discussions around standardization.

  • Avoid delay unlike 5G: India aims to avoid the delay in previous generations of telecommunications technology, which started rolling out in India years after countries like South Korea and the United States.

  • Increased connectivity: Additionally, the lower frequency in 4G networks may not be able to keep up with the demand for traffic with increasing data usage, making 6G a necessity.

Government Plans for 6G

  • The Indian government plans to financially support “research pathways” to advance connectivity goals and establish an “apex body”.

  • India’s 6G goals include-

  1. Guaranteeing every citizen a minimum bandwidth of 100Mbps

  2. Ensuring every gram panchayat has half TB (terabyte) per second of connectivity, and

  3. Providing over 50 million internet hotspots with thirteen per square kilometer.

Roadmap for 6G in India

  • The government plans to implement 6G in two phases.

  1. Phase 1 will support explorative ideas, risky pathways, and proof-of-concept tests.

  2. Phase 2 will support ideas and concepts that show promise for global acceptance, leading to commercialisation.

  • It would appoint an apex council to oversee the project and deal with standardisation, identification of spectrum, finances for research and development, and more

  • The council will finance research and development of 6G technologies by Indian start-ups, companies, research bodies, and universities.

  • A key focus of the council will be on new technologies such as Terahertz communication, radio interfaces, tactile internet, and artificial intelligence.

  • Bharat 6G Mission aligns with the national vision of Atmanirbhar Bharat and aims to make India a leading supplier of advanced telecom technologies that are affordable and contribute to the global good.

Approaches to 6G in Other Countries

  • South Korea plans significant investments in 6G technology development, with a focus on laying the ground for key original technologies and domestic production of core equipment and components.

  • Countries are also starting to work together, with Japan and Germany planning a workshop to work on everything from “fundamental technologies to demonstrations.”

  • Europe’s equivalent of the Indian 6G Vision Document emphasizes leadership in strategic areas and establishing secure and trusted access to key technologies.

 

Prayas - April 2023

 

Prayas - April 2023

                                                      

Year - 3                         Month - April 2023                              Issue - 40

प्यारे बच्चों,

गत माह कुछ ज्यादा व्यस्तता के कारण आपके लिए कुछ नहीं लिख पाया मुझे आशा ही नहीं पूर्ण विश्वास है कि आप सभी लोग अच्छे होंगे I अब आप का नया सेशन शुरू हो चूका है और नए पुस्तकों के साथ पढ़ने का आनंद ले रहे होंगे I इसी क्रम में आज कुछ कसमें वादे भी करें कि कुछ नया करना है इस बार I इसी को लेकर आज का article आपके प्रसास के अंतर्गत -

1- आज नहीं कल से करूँगा 

आज नहीं तो कल, कल नहीं तो परसों, हम इसी तरह अपने कामों को टालते रहते हैं। जो काम आज हो सकता है, उसे कल पर टाल देते हैं और कल आने पर परसों। इसी तरह समय बीतता जाता है और एक-एक दिन के साथ हमारे कामों का बोझ बढ़ता जाता है।

जैसे जैसे हमारे कामों का बोझ बढ़ता जाता है तो हम उन कामों को करना ही छोड़ देते हैं और ऐसे में कई बार हम अपने जरूरी काम भी नहीं कर पाते और फिर बाद में उसी का अफ़सोस करते हैं। अपने काम को टालते रहना या फिर हर काम में काम चोरी करना असफल लोगों की निशानी है। जो काम आप आज और अभी कर सकते हैं उसे कभी भी कल पर ना टालें।

अपने आलस को अपनी जिंदगी से दूर रख कर उस काम को आज ही निपटा लें। ‘डेविड कॉपरफील्ड’ किताब में चार्ल्स डिकेंस कहते हैं, ‘मेरी सलाह है कि जो काम आप आज कर सकते हैं, उसे कल पर ना छोड़े। टालमटोल का रवैया समय का सबसे बड़ा चोर है।’ 

2- बेवजह का डर क्यों 

एक बात से जुड़ी कई बातें होती हैं। उनमें कई आशंकाएं और संभावनाएं छिपी होती हैं। लेकिन उदासी के पलों में हमें केवल डर दिखाई देता है। हम अपने डर पर ज्यादा भरोसा करने लगते हैं। कई बार हमारा डर हमें भविष्य में होने वाले खतरों से बचाता भी है। पर, कई डर बेमतलब के होते हैं।

हम बेवजह एक बात से दूसरी बात को जोड़ते चले जाते हैं। मनोविज्ञानी कहते हैं, डर भी एक feeling है, एक रासायनिक प्रतिक्रिया है। मन में छुपा रहने वाला हर डर सही साबित नहीं होता। कोई Thought अगर आपको ज्यादा परेशान कर रहा है, तो उससे ध्यान हटाने की कोशिश करें।

किसी दूसरी चीज के बारे में सोचने की कोशिश करें। अपने well wishers से बात करें। उस समस्या से जुड़े अनुभवी लोगों से बात करें। दर हमेशा हमारे मन में रहता है। हो सकता है, कुछ बुरा हो भी जाए, पर होगा ही, ये जरूरी नहीं है। अपने डर को स्वीकार करें, पर हमेशा उसे अपने साथ ना रखें। 

3- अपनी परेशानी किसे बताएं 

कुछ लोगों की आदत होती है कि कोई Problem आने पर वो किसी से भी उसके बारे में बातचीत करना पसंद नहीं करते। पर, एक सच ये भी है कि कभी-कभी अपनी परेशानी किसी दूसरे को बता देने भर से ही मन हल्का हो जाता है। और, हो सकता है कि बातों ही बातों में उसका Solution भी निकल आए।

जब हम इस चिंता में पड़ जाते हैं कि हमारी तकलीफ के बारे में सुनकर बाकी लोग क्या सोचेंगे, कहीं मजाक तो नहीं उड़ाएंगे, या फिर हमारा और ज्यादा नुकसान तो नहीं हो जाएगा, इस तरह परेशानी कम होने की बजाय और ज्यादा बढ़ने लगती है। पूरी दुनिया के सामने अपनी परेशानी का ढिंढोरा ना पीटें। इसके विपरीत, अपने किसी दोस्त, family member या फिर ऐसे व्यक्ति जिस पर आप भरोसा करते हों उनके साथ अपनी problem को share करें।

ऐसा करने से मन में एक विश्वास आता है कि मुसीबत के समय हम अकेले नहीं हैं। कोई है, जो हमारा सहारा बनकर हमारे साथ खड़ा रह सकता है। इसलिए अपनी बातों को विश्वास लायक लोगों के साथ share करने से बिलकुल भी ना हिचकें। जो सच है वो कहें और अपनों से एक अच्छी राय जरूर लें। 

4- दुःख से कैसे बचें 

दुख हमें डराता है। उदासी हमें खलती है। हम इनसे बचना चाहते हैं। इसीलिए जब मूड खराब होता है, तो हम जितना जल्दी हो, उसे ठीक करने में लग जाते हैं। खुद को जल्दी खुश करने के लिए हम एक से दूसरे, दूसरे से तीसरे व्यक्ति या चीजों के पीछे भागते रहते हैं। दुखी होने पर खुश होने की और बेचैन होने पर शांत दिखने की कोशिश करते रहते हैं।

यहां एक बात याद रखना जरूरी है। किसी भी चीज की शुरुआत और उसका अंत दोनों मायने रखती है। कोई भी दुःख हो या किसी भी तरह की तकलीफ हो वो तब तक बनी रहती है, जब तक हम उसे पूरी तरह से अलविदा नहीं करते। किसी भी दुःख से जल्दी से उबरने की और सब कुछ ठीक करने की जल्दबाज़ी से कुछ हाथ नहीं आता। मन में छुपी भावनाएं लंबे समय तक हमें परशान करते रहती हैं। इसलिए तकलीफ को स्वीकार करना, उसका सामना करना जरूरी होता है।

कुछ दुख ऐसे भी होते हैं जो कभी नहीं जाते। लेकिन समय के साथ उस दुख से, उससे जुड़ी भावनाओं से हम संतुलन बनाना सीख जाते हैं। मनोविज्ञानी एमी जॉनसन कहती हैं, ‘हर चीज हमारे काबू में नहीं होती। ऐसा करने की कोशिश करना हमें तनाव में डाल देता है। हमें भरोसा रखना चाहिए कि उदासी के ये भाव हमेशा के लिए नहीं हैं, धीरे-धीरे सब ठीक हो जाएगा।’ 

5- एक दुनिया जो हम खुद बनाते हैं 
दुनिया किसी को नहीं छोड़ती। हम सभी की जिंदगी में कुछ लोग ऐसे जरूर होते हैं, जिनका काम टांग खिंचाई करना, हमारा मज़ाक उड़ाना, हमें पीछे धकेलना या फिर नुकसान पहुंचाना होता है। पर, दुनिया यहीं तक नही होती। इससे साथ-साथ एक दुनिया वो भी है, जो हम अपने साथ बनाते चलते हैं।

दूसरों की बातों पर ध्यान ना देकर, खुद के लिए जब हम कुछ करते हैं तो अपनी उस दुनिया को हम और बेहतर बनाते हैं। हर बार जब किसी मुसीबत या दुःख के बाद हम फिर से खड़े होते हैं, तो वो दुनिया और बड़ी और मज़बूत हो जाती है। ‘ए फेयरवेल टु आर्म्स’ में अर्नेस्ट हेमिंग्वे कहते हैं, ‘दुनिया हर किसी को तोड़ती है, उन्हीं में से बहुत सारे लोग हैं, जो टूटने के बाद और भी मजबूत हो जाते हैं।’

6- सीखने का सही मौका 

जब कोई आखिरी मिनट में बार-बार किसी योजना में बदलाव करता है, तो गुस्सा आना एक natural सी बात है। ऐसा होने पर हम शिकायतें करते हैं और आपस में कहासुनी होने लगती है। पर कई बार हमे सच में किसी बदलाव की जरूरत होती भी है। लेकिन तब क्या? जेन हेबिट के संस्थापक लिओ बॉबटा कहते है, ‘बदलावों से बचने की बजाय, हमें उन्हें कुछ नया सीखने का मौका समझना चाहिए।

इससे हमारे लिए हालात के अनुसार ढलना और अपना फोकस बनाए रखना आसान हो जाता है। किसी भी बदलाव से डरने की बजाय उसे आगे बढ़ने का रास्ता समझना हमें सफल बनाता है। बदलाव हमेशा नई चुनौती लाता है और चुनौती ही हमे कुछ नया सीखाती है। साथ ही जब किसी बदलाव से हमे कोई अच्छा result मिलता है तो हम मिलने वाले मौकों और साथ के लोगों के प्रति आभारी हो जाते हैं और उनसे बेहतर ढंग से जुड़ भी पाते हैं।’

इस माह इतना ही... अगले माह कुछ और…

नए सेशन की बहुत सारी बधाईयाँ

धन्यवाद

आपका पथ-प्रदर्शक 

धर्मेन्द्र कुमार 

पुस्तकालयाध्यक्ष

G-20 SUMMIT QUIZ

 

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( MINISTRY OF EDUCATION )

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                          G20 Summit Quiz


                                   Start Date: 6 Dec 2022, 11:00 am

                                   End Date: 30 Apr 2023, 11:59 pm


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About Quiz

The G-20 Summit focuses on strengthening multilateral economic relations among developed and developing countries of the world. The focus area is to ensure the revival and recovery of the global economy, work towards ensuring financial stability and strengthen pathways for achieving Sustainable Development Goals. India will be hosting G-20 Summit in September 2023.

The Quiz questions are designed to increase your awareness about G-20 and its importance in promoting peace and harmony for progress and development.

The main objectives of the quiz competition are to –

1.   Create awareness about the historical background of the G-20 Summit

2.   Develop knowledge about the objectives of the Summit

3.   Promote understanding of its salient features and provisions

4.   Encourage children to relate to different parameters of G-20

 

G 20 शिखर सम्मेलन दुनिया के विकसित और विकासशील देशों के बीच बहुपक्षीय आर्थिक संबंधों को मजबूत करने पर केंद्रित है। इसका उद्देश्य वैश्विक अर्थव्यवस्था के पुनरुद्धार और पुनर्प्राप्ति को सुनिश्चित करना, वित्तीय स्थिरता सुनिश्चित करने की दिशा में काम करना और सतत विकास लक्ष्यों को प्राप्त करने के लिए मार्ग को मजबूत करना है।यह प्रश्नोत्तरी प्रगति और विकास के लिए शांति और सामंजस्य स्थापित्त करने हेतु G 20 के महत्व के बारे में आपकी जागरूकता बढ़ाने के लिए तैयार की गयी है।

यह प्रश्नोत्तरी G 20 के बारे में तथा प्रगति  और विकास के लिए शांति और सदभाव को बढ़ाने में इसके महत्व के विषय में आपकी जागरूकता को बढ़ाने  के लिए बनाई गयी है।

प्रश्नोत्तरी प्रतियोगिता के  मुख्य उद्देश्य हैं –

1. G 20 शिखर सम्मेलन की ऐतिहासिक पृष्ठभूमि के बारे में जागरूकता पैदा करना

2. शिखर सम्मेलन के उद्देश्यों के बारे में ज्ञान विकसित करना

3. इसकी मुख्य विशेषताओं और प्रावधानों की समझ को बढ़ावा देना

4.  G 20 के विभिन्न मापदंडों से संबंधित करने के लिए प्रोत्साहित करना

CHATGPT

CHATGPT

Background

  • ChatGPT by OpenAI: Artificial Intelligence (AI) research company OpenAI recently announced ChatGPT, a prototype dialogue-based AI chatbot capable of understanding natural language and responding in natural language.

  • Will be able to implement in software soon: So far, OpenAI has only opened up the bot for evaluation and beta testing but API access is expected to follow next year. With API access, developers can implement ChatGPT into their own software.

  • Remarkable abilities: Even under its beta testing phase, ChatGPT’s abilities are already quite remarkable. Aside from amusing responses like the pumpkin one above, people are already finding real-world applications and use cases for the bot.

ChatGPT

What is Chatbot?

  • A chatbot (coined from the term “chat robot”) is a computer program that simulates human conversation either by voice or text communication and is designed to help solve a problem.

  • Organizations use chatbots to engage with customers alongside classic customer service channels like phone, email, and social media.

What is ChatGPT?

  • Simple definition: ChatGPT is a chatbot built on a large-scale transformer-based language model trained on a diverse dataset of text and capable of generating human-like responses to prompts.

  • A human-like language model: It is based on GPT-3.5, a language model that uses deep learning to produce human-like text.

  • It is more engaging with details: However, while the older GPT-3 model only took text prompts and tried to continue on that with its own generated text, ChatGPT is more engaging. It’s much better at generating detailed text and can even come up with poems.

  • Keeps the memory of the conversations: Another unique characteristic is memory. The bot can remember earlier comments in a conversation and recount them to the user.

  • Human-like resemblance: A conversation with ChatGPT is like talking to a computer, a smart one, which appears to have some semblance of human-like intelligence.

Will AI replace all of our daily writing?

  • ChatGPT is not entirely accurate: It is not entirely accurate, something even OpenAI has admitted. It is also evident that some of the essays written by ChatGPT lack the depth that a real human expert might showcase when writing on the same subject.

  • ChatGPT lacks depth like the human mind: It doesn’t quite have the nuance that a human can often provide. For example, when asked ChatGPT how one should cope with a cancer diagnosis. The responses were kind but generic. The type of responses you would find in any general self-help guide.

  • It lacks the same experiences as humans: AI has a long way to go. After all, it doesn’t have the same experiences as a human.

  • ChatGPT doesn't excel in code: ChatGPT writes basic code. As several reports have shown, ChatGPT doesn’t quite excel at this yet. But a future where basic code is written using AI doesn’t seem so incredible right now.

Limitations of ChatGPT

  • ChatGPT is still prone to Misinformation: Despite of abilities of the bot there are some limitations. ChatGPT is still prone to misinformation and biases, which is something that plagued previous versions of GPT as well. The model can give incorrect answers to, say, algebraic problems.

  • ChatGPT can write incorrect answers: OpenAI understands some flaws and has noted them down on its announcement blog that “ChatGPT sometimes writes plausible-sounding but incorrect or nonsensical answers.

Conclusion

  • OpenAI’s ChatGPT turned that simple experience into something entirely different. ChatGPT is a path-breaking example of an AI chatbot and what the technology could achieve when applied at scale. Limitations aside, ChatGPT still makes for a fun little bot to interact with. However, there are some challenges that need to be addressed before it becomes an unavoidable part of human life.

What is ChatGPT?

  • Simple definition: ChatGPT is a chatbot built on a large-scale transformer-based language model trained on a diverse dataset of text and capable of generating human-like responses to prompts.

  • A human-like language model: It is based on GPT-3.5, a language model that uses deep learning to produce human-like text.

  • It is more engaging with details: However, while the older GPT-3 model only took text prompts and tried to continue on that with its own generated text, ChatGPT is more engaging. It’s much better at generating detailed text and can even come up with poems.

  • Keeps the memory of the conversations: Another unique characteristic is memory. The bot can remember earlier comments in a conversation and recount them to the user.

  • Human-like resemblance: A conversation with ChatGPT is like talking to a computer, a smart one, which appears to have some semblance of human-like intelligence.

Capabilities of GPT-4

  • Enhanced abilities: GPT-4 is a considerable improvement over its predecessor, GPT-3.5, with enhanced conversational and creative abilities that allow it to understand and produce more meaningful and engaging content.

  • Accept both text and image input: It can accept both text and image input simultaneously, which enables it to consider multiple inputs while generating responses, such as suggesting recipes based on an image of ingredients.

  • Diverse potential: GPT-4’s impressive performance in various tests designed for humans, such as simulated bar examinations and advanced courses in multiple subjects, demonstrates its potential applications in diverse fields.

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