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नई शिक्षा नीति 2020

 नई शिक्षा नीति 2020

इन 10 सवालों के जरिए समझें 


 मंत्रिमंडल ने 29 July को राष्ट्रीय शिक्षा नीति 2020 (NEP) को मंजूरी दी और मानव संसाधन विकास मंत्रालय का नाम बदलकर शिक्षा मंत्रालय कर दिया। केंद्रीय मंत्री प्रकाश जावड़ेकर और रमेश पोखरियाल 'निशंक' ने घोषणा करते हुए कहा कि सभी उच्च शिक्षा संस्थानों के लिए एक ही नियामक होगा व एमफिल को खत्म किया जाएगा। उच्च शिक्षा सचिव अमित खरे ने कहा कि डिजिटल लर्निंग को बढ़ावा देने के लिए एक राष्ट्रीय प्रौद्योगिकी मंच (NETF) बनाया जाएगा। ई-पाठ्यक्रम (ई-कोर्सिस) शुरू में आठ क्षेत्रीय भाषाओं में विकसित होंगे और वर्चुअल लैब विकसित की जाएगी।

नई शिक्षा नीति के तहत स्कूली शिक्षा से लेकर उच्च शिक्षा में कई अहम बदलाव हुए हैं और ये के. कस्तूरीरंगन की अध्यक्षता में बनी है। राष्ट्रीय शिक्षा नीति (NEP) 1986 में ड्राफ्ट हुई थी और 1992 में इसमें संशोधन (अपडेट) हुआ एवं करीब 34 साल बाद 2020 में इसमें कई अहम व महत्वपूर्ण बदलाव किए गए हैं। जिसे इसके 108 पेजों के ड्राफ्ट में 21वीं शताब्दी की पहली शिक्षा नीति बताया गया है, जिसका लक्ष्य देश के विकास के लिए अनिवार्य आवश्यकता को पूरा करना है। बता दें कि 2014 के लोकसभा चुनाव से पहले से ही राष्ट्रीय शिक्षा नीति सत्तारूढ़ भारतीय जनता पार्टी (BJP) के चुनाव घोषणापत्र का हिस्सा थी। 
हालांकि, नई शिक्षा नीति को लागू करने एवं शिक्षा के स्वरूप को बदलने के लिए लाखों की संख्या में शिक्षकों की जरूरत होगी। मौजूदा वक्त में स्कूल एवं कॉलेजों के 35 करोड़ से ज्यादा विद्यार्थियों के लिए 1 करोड़ से ज्यादा शिक्षक हैं। देश में करीब 15 लाख से ज्यादा स्कूल हैं, हजार से ज्यादा विश्वविद्यालय और 41 हजार से ज्यादा कॉलेज हैं। निजी कॉलेजों को जोड़कर संख्या और ज्यादा है।

आइए राष्ट्रीय शिक्षा नीति 2020 को विस्तार से प्रश्न- उत्तर शैली में समझते हैं।

#1.सवाल: राष्ट्रीय शिक्षा नीति 2020 में बताए गए सुधार व बदलाव कैसे लागू होंगे?
उत्तर: राष्ट्रीय शिक्षा नीति (NEP) में अभी शिक्षा सुधारों के सुझावों को मंजूरी मिली है। इन सुधारों का क्रियान्वयन होना बाकी है। जरूरी नहीं है कि नई शिक्षा नीति के सभी सुझाव मान ही लिए जाए, क्योंकि शिक्षा एक समवर्ती विषय है जिस पर केंद्र व राज्य सरकारें दोनों कानून बना सकती हैं। नई शिक्षा नीति में शिक्षा में सुधार के जो सुझाव दिए गए हैं, वो राज्य सरकारों व केंद्र के सहयोग से लागू किए जाएंगे। 

#2.सवाल: नई शिक्षा नीति कब लागू होगी?
उत्तर: राष्ट्रीय शिक्षा नीति 2020 अभी इतनी जल्दी लागू होने वाली नहीं है। सरकार ने खुद राष्ट्रीय शिक्षा नीति के सुझावों को पूरी तरह से लागू करने के लिए 2040 का टारगेट रखा है। हालांकि, इसके कई सुझाव आने वाले दो-तीन सालों में लागू हो सकते हैं। राष्ट्रीय शिक्षा नीति 2020 के फाइनल ड्राफ्ट में कहा गया है कि 2040 तक भारत के लिए एक ऐसी शिक्षा प्रणाली का लक्ष्य होना चाहिए, जहां किसी भी सामाजिक और आर्थिक पृष्ठभूमि से संबंध रखने वाले शिक्षार्थियों को समान रूप से सर्वोच्च गुणवत्ता की शिक्षा उपलब्ध हो। शिक्षा नीति को लागू करने के लिए फंड अहम है, इसलिए असल दिक्कत इसे लागू करने में होगी। 1968 में बनी पहली राष्ट्रीय शिक्षा नीति फंड के अभाव की वजह से पूरी तरह से लागू नहीं हो पाई थी। 

#3.सवाल:  क्या बोर्ड की परीक्षाएं होंगी या नहीं?
 उत्तर:  नई शिक्षा नीति में दसवीं और बारहवीं कक्षा की बोर्ड परीक्षाओं में बड़े बदलाव किए गए हैं। बोर्ड की परीक्षाएं होंगी, लेकिन इनके महत्व को कम किया जाएगा। साल में दो बार बोर्ड परीक्षाएं होंगी, लेकिन विद्यार्थियों पर अब बोर्ड परीक्षाओं का दबाव कम हो जाएगा। विद्यार्थियों के रटने की प्रवृत्ति को कम करने के लिए विषयों के कॉन्सेप्ट और ज्ञान को महत्व दिया गया है। विद्यार्थियों को बोर्ड परीक्षाएं पास करने के लिए कोचिंग की जरूरत नहीं होगी।

बोर्ड परीक्षाओं को दो हिस्सों- वस्तुनिष्ठ और व्याख्त्मक श्रेणियों में विभाजित किया गया है।परीक्षा में मुख्य जोर ज्ञान के परीक्षण पर होगा ताकि छात्रों में रटने की प्रवृत्ति खत्म हो। विभिन्न बोर्ड आने वाले वक्त में बोर्ड परीक्षाओं के प्रैक्टिकल मॉडल को तैयार करेंगे। नई शिक्षा नीति के तहत कक्षा तीन, पांच एवं आठवीं में भी परीक्षाएं होगीं। 10वीं व 12वीं की बोर्ड परीक्षाएं बदले स्वरूप में होंगी। बोर्ड परीक्षाओं को लेकर ये अहम बदलाव 2022-23 वाले सत्र से लागू करने की मंशा है।  दरअसल, 10+2 की जगह नई शिक्षा नीति में 5+3+3+4 की बात की गई है।

#4.सवाल: जो बच्चे अभी नर्सरी में हैं, उनको क्या करना है?
उत्तर: जो बच्चे अभी नर्सरी में हैं, जरूर उनके अभिभावकों को 5+3+3+4 फॉर्मूला समझने में मुश्किल हो रही होगी। पहले यह बता दें कि अभी नई शिक्षा नीति का क्रियान्वयन नहीं हुआ है। इसलिए, सारे बदलाव इसके क्रियान्वयन के बाद होंगे। अभी जैसे चल रहा है, उसी तरह से चलेगा। लेकिन इसके लागू होने के बाद प्ले स्कूल के शुरुआती साल भी अब स्कूली शिक्षा में जुड़ेंगे। यह सबसे अहम बदलाव है।

अब बच्चे 6 साल की जगह 3 साल की उम्र में फ़ॉर्मल स्कूल में जाने लगेंगे। अभी तक 6 साल की उम्र में बच्चे पहली क्लास मे जाते थे, नई शिक्षा नीति लागू होने पर भी 6 साल में बच्चा पहली क्लास में ही होगा। पर पहले के 3 साल भी फॉर्मल शिक्षा वाले होंगे। यानी कि प्ले-स्कूल के शुरुआती साल भी स्कूली शिक्षा में जुड़ेंगे।

5#.सवाल:  जो अगले साल कॉलेज जाएंगे उनके लिए क्या?
उत्तर:  नई शिक्षा नीति में उच्च शिक्षा में कई अहम बदलाव किए गए हैं। लेकिन ये बदलाव कब से लागू होंगे इसे लेकर अभी कोई जानकारी नहीं दी गई है। बारहवीं के बाद अभी जो विद्यार्थी कॉलेज जाएंगे, ऐसे में संभव है कि वो विद्यार्थी पुराने स्नातक और स्नातकोत्तर  पाठ्यक्रम के हिसाब से ही दाखिला पाएंगे। दरअसल, नई शिक्षा नीति के हिसाब से अब ग्रेजुएशन में छात्र चार साल का कोर्स पढ़ेगें, जिसमें बीच में कोर्स को छोड़ने की गुंजाइश भी दी गई है। छात्र अगर कोर्स बीच में ही छोड़ देते हैं, तो उनको ड्रापआउट घोषित नहीं किया जाएगा।
5.# सवाल: उच्च शिक्षा में नई शिक्षा नीति में क्या अहम बदलाव हुए हैं? विस्तार से बताएं।
उत्तर: नई शिक्षा नीति में छात्र स्नातक में चार साल का पाठ्यक्रम पढ़ेंगे। इसमें भी विकल्प दिया गया है। जो विद्यार्थी ग्रेजुएशन के बाद नौकरी करना चाहते हैं एवं हायर एजुकेशन में नहीं जाना चाहते, उनके लिए तीन साल की डिग्री रखी गई है। वहीं, शोध में जाने वाले विद्यार्थियों के लिए चार साल की डिग्री रखी गई है।

चार साल की डिग्री करने वाले विद्यार्थी एक साल में स्नातकोत्तर कर पाएंगे। अगर कोई छात्र इंजीनियरिंग कोर्स को दो साल में ही छोड़ देता है, तो उसे डिप्लोमा प्रदान किया जाएगा। पांच साल का संयुक्त ग्रेजुएट-मास्टर कोर्स लाया जाएगा। अगर चार साल के डिग्री कोर्स में कोई विद्यार्थी पहले साल में ही कॉलेज छोड़ देता है, तो उसे सर्टिफिकेट मिलेगा। जबकि दूसरे साल के बाद एडवांस सर्टिफिकेट और तीसरे साल के बाद छोड़ने पर डिग्री मिलेगी। अगर विद्यार्थी पूरे चार साल पढ़ेगा तो चार साल बाद की डिग्री उसे शोध के साथ मिलेगी। इसी तरह से  पोस्ट ग्रेजुएट में तीन तरह के विकल्प होंगे। जिन्होंने तीन साल का डिग्री कोर्स किया है उनके लिए दो साल का मास्टर्स होगा। दूसरा- चार साल के डिग्री कोर्स करने वाले विद्यार्थियों के लिए एक साल का एमए होगा। तीसरा- पांच साल का इंटिग्रेडेट प्रोग्राम होगा जिसमें स्नातक और स्नातकोत्तर दोनों एक साथ हो जाए।


6.# सवाल: नई शिक्षा नीति में एमफिल और पीएचडी के लिए क्या प्रावधान हैं?
उत्तर- नई शिक्षा नीति में एमफिल को खत्म कर दिया गया है।अब पीएचडी के लिए चार साल की डिग्री शोध के साथ अनिवार्य होगी।

7.# सवाल: 5+3+3+4 फॉर्मेंट क्या है?
उत्तर:  नई शिक्षा नीति में 10+2 की जगह सरकार  5+3+3+4 का फॉर्मूला लाई है। इसमें 5 का अर्थ है कि तीन साल प्री-स्कूल के और उसके बाद के दो साल पहली और दूसरी कक्षा के। 3 का अर्थ है- तीसरी, चौथी और पांचवी कक्षा। इसके बाद के 3 का अर्थ है- छठी, सांतवीं और आठवीं कक्षा। आखिर वाले 4 का अर्थ है- नौवीं, दसवीं, ग्यारहवीं और बारहवीं कक्षा।

यानी बच्चे अब तीन साल की उम्र में फॉर्मल स्कूल में जाने लगेंगे। छह साल की उम्र में बच्चा पहले की तरह की पहली कक्षा में होगा। दरअसल, नई व्यवस्था में प्ले-स्कूल के शुरुआती साल भी स्कूली शिक्षा में जोड़े गए हैं।

8.#सवाल: 2030 तक हर जिले में उच्च शिक्षण संस्थान और नेशनल रिसर्च फाउंडेशन क्या है?
उत्तर: नई शिक्षा नीति में शोध के लिए नेशनल रिसर्च फाउंडेशन स्थापित करने की बात कही गई है। उच्च शिक्षण संस्थानों को बहु विषयक संस्थानों में बदला जाएगा। 2030 तक हर जिले में एक उच्च शिक्षण संस्थान स्थापित किया जाएगा। ऑनलाइन शिक्षा के लिए क्षेत्रीय भाषाओं में कंटेट तैयार होगा, वर्चुअल लैब, डिजिटल लाइब्रेरी, स्कूलों, शिक्षकों और छात्रों को डिजिट संसाधनों से लैस किया जाएगा। कला, संगीत, शिल्प, खेल, योग, सामुदायिक सेवा जैसे सभी विषयों को भी पाठ्यक्रम में शामिल किया जाएगा।

अब छठी कक्षा से ही बच्चे को प्रोफेशनल और स्किल की शिक्षा दी जाएगी। स्कूल में ही बच्चे को नौकरी के जरूरी प्रोफेशनल शिक्षा दी जाएगी। पांचवीं तक और जहां तक संभव हो सके आठवीं तक मातृभाषा में ही शिक्षा उपलब्ध कराई जाएगी। नेशनल एसेसमेंट सेंटर बनाया जाएगा जो बच्चों के सीखने की क्षमता का वक्त-वक्त पर परीक्षण करेगा।

9.#सवाल: यूजीसी को खत्म कर रेगुलेटरी बॉडी क्या है?
उत्तर: नई शिक्षा नीति में यूजीसी, एनसीटीई और एआईसीटीई को खत्म करके एक रेगुलेटरी बॉडी बनाई जाएगी। हालांकि, अभी यह नहीं बताया गया है कि इस नियामक बॉडी का स्वरूप कैसा होगा। कॉलेजों को स्वायत्ता (ग्रेडेड ओटोनॉमी) देकर 15 साल में विश्वविद्यालयों से संबद्धता की प्रक्रिया को पूरी तरह से खत्म कर दिया जाएगा।  उच्च शिक्षण संस्थानों में प्रवेश के लिए कॉमन एंट्रेंस एग्जाम होगा। यह संस्थान के लिए अनिवार्य नहीं होगा। राष्ट्रीय परीक्षा एजेंसी यह परीक्षा कराएगी।

10.# नई शिक्षा नीति में और क्या महत्वपूर्ण बदलाव हुए हैं?
उत्तर- नई शिक्षा नीति में स्कूल शिक्षा और उच्च शिक्षा में दस-दस बड़े सुधारों पर मुहर लगाई गई है।  प्री-प्राइमरी शिक्षा के लिए एक विशेष पाठ्यक्रम तैयार होगा। इसके तहत तीन से छह साल तक की आयु के बच्चे आएंगे। 2025 तक कक्षा तीन तक के छात्रों को मूलभूत साक्षरता तथा अंकज्ञान सुनिश्चित किया जाएगा। मिडिल कक्षाओं की पढ़ाई पूरी तरह बदल जाएगी। कक्षा छह से आठ के बीच विषयों की पढ़ाई होगी। फीस पर नियंत्रण के लिए तंत्र तैयार होगा।केंद्रीय विश्वविद्यालय, राज्य विश्वविद्यालय, डीम्ड विश्वविद्यालय और प्राइवेट विश्वविद्यालय के लिए एक ही नियम होगा।

नई शिक्षा नीति में टेक्नोलॉजी और ऑनलाइन एजुकेशन पर जोर दिया गया है।हर जिले में कला, करियर और खेल-संबंधी गतिविधियों में भाग लेने के लिए एक विशेष बोर्डिंग स्कूल के रूप में 'बाल भवन' स्थापित किया जाएगा। मानव संसाधन विकास मंत्रालय (एमएचआरडी) का नाम बदलकर शिक्षा मंत्रालय किया गया है। विद्यार्थियों को स्कूल के सभी स्तरों और उच्च शिक्षा में संस्कृत को एक विकल्प के रूप में चुनने का अवसर दिया जाएगा। नई शिक्षा नीति में विदेशी विश्वविद्यालयों को भारत में कैंपस खोलने की अनुमति मिलेगी।


राष्ट्रीय शिक्षा नीति 2020 के अहम बिंदु

मानव संसाधन विकास मंत्रालय का नाम बदलकर शिक्षा मंत्रालय
स्कूलों के लिए  10+2 की जगह 5+3+3+4 फॉर्मूला
शिक्षा पर सरकारी खर्च 4.43% से बढ़ाकर जीडीपी का 6 % का लक्ष्य है। 
ग्रेजुएशन में 3-4 साल की डिग्री व एमफिल की अनिवार्यता खत्म 
छठी कक्षा से ही छात्रों को प्रोफेशनल और स्किल की शिक्षा
दसवीं और बारहवीं की बोर्ड परीक्षाओं को बनाया गया आसान
पांचवीं कक्षा तक मातृभाषा में पढ़ाई
UGC, NCTE और AICTE की जगह एक नियामक बॉडी
उच्च शिक्षण संस्थानों में प्रवेश के लिए कॉमन एंट्रेंस एग्जाम
2030 तक हर जिले में एक उच्च शिक्षण संस्थान 
ऑनलाइन एजुकेशन पर जोर
विदेशी विश्वविद्यालयों को भारत में कैंपस खोलने की अनुमति  



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