Year - 2 Month - September 2022 Issue - 34
प्यारे बच्चों,
क्या हुआ,
मिल गया धोखा अब मिल गयी शान्ति जिस चीज़ के लिए, जिस इंसान के लिए अपनी पढाई, लिखायी अपनी सारी मेनहत माँ-बाप, भाई-बहन सब कुछ त्याग दिए. उसी इंसान ने तुम्हारी ज़िंदगी को बर्बाद कर दिया शुरु-शुरु में बहुत सपने देखे की साथ मिलकर ये करंगे वो करेंगे ऐसा कर डालेंगे वैसा कर डालेंगे लेकिन अब क्या हुआ वो सारे सपने, कहाँ गए वो सारे दोस्त.
ज़िन्दगी में हमेसा एक बात याद रखना यदि तुम अपने लक्ष्य को प्यार करोगे तो ये पूरी दुनिया तुमसे प्यार करेगी लेकिन तुम मूर्खो की तरह एक इंसान के चक्कर में पड़कर अपने लक्ष्य को भूल जाओगे उसके लिए मेनहत करना भूल जाओगे तो फिर वो तुम्हे अपनी औकात याद दिलाएगा.
बहुत प्रेम किया था न तुमने उससे बहुत इज्जत दी थी न तुमने उसको अब कहाँ क्या वो प्रेम अब कहाँ गयी वो इज्जत यदि वो प्रेम वो इज्जत अपने लक्ष्य को दी होती ना तो आज पूरी दुनिया तुम्हारे पीछे भाग रही होती.
लेकिन किसी के कितने समझाने के बाद भी तुम कहा समझ पाए तुम अपनी मूर्खता में लगे रहे और सिर्फ वही काम करते रहे जो तुम्हे अच्छा लग रहा था.
लेकिन जो सच था आज तुम्हारे सामने है और तुम परेशान हो रहे हो, चीख रहे हो, चिल्ला रहे हो, रो रहे हो, टेंसन ले रहे हो, की अब हमारी ज़िंदगी का क्या होगा अरे चीखने चिल्लाने परेशान होने से किसी की ज़िंदगी में कुछ नहीं बदलता यदि बदलता है तो वो बदलता है अपने फैसलों से आपसे जो गलतियां हुयी है उनको सुधारने के फैसलों से.
लेकिन आज के बाद यदि फिर से वही गलतियां करते रहोगे फिर वही मूर्खता करते रहोगे तो आपकी ज़िंदगी में फिर से वही समय आने वाला है जो आज आया है और आप अपने पूरी ज़िंदगी को इन्ही चक्क्रों में पड़कर बर्बाद कर लोगे.
आज तुम्हारे पास दो रास्ते है या तो उसी रास्ते पे वापस जाओ जहा तुम्हारी ज़िंदगी बिगड़ने वाली है और अभी तक बिगड़ चुकी है, और दूसरा रास्ता तुम्हे ले जाता है अपनी मंजिल की ओर वो मंजिल जहां तुम खुद अपने आप को देखना चाहते हो तुम्हारे माता-पिता तुम्हारा समाज तुम्हरे भाई-बहन सभी तुम्हे वहां पंहुचा हुआ देखना चाहते है लेकिन तुम खुद उसे बर्बाद कर रहे हो.
यही वो समय है जब तुम अपनी ज़िंदगी को बदल सकते हो और फैसला ले सकते हो एक फैसला जो तुम्हारी पूरी को पूरी ज़िंदगी बदल कर रख देगा और नहीं तो वापस मुड़ जाओ उसी रास्ते पर, उस कीचड़ में, उस दलदल में जहां से फंस के ज़िंदगी का कोई भी इंसान वापस नहीं निकल पाया.
अरे सोच क्या रहे हो,
उस बत्तर सी ज़िंदगी से निकलो अपने आप को निकालो ये टेंशन लेना बंद करो ये सोचना और समझना बंद करो और अपनी काम की ओर अपनी लक्ष्य की ओर ध्यान लगाओ मेनहत करो और अपनी ज़िंदगी में आगे बढ़ो.
आज के बाद उसे याद करने की जरूरत नहीं है जिसने तुम्हारी ज़िंदगी बर्बाद कर दी बल्कि उसे दिखाने की जरूरत है की तुम बर्बाद नहीं हुए हो.
वो जो सोच भी नहीं सकते तुम उसे करने के लिए तैयार हो चुके हो, और वो तुम अब बन के दिखाओगे वो कर के दिखाओगे जो ये दुनिया सोच भी नहीं सकती,
तो अब उठो,
अपने आपको इन सारे के सारे चक्करो से निकालो और पढाई करने के लिए बैठ जाओ तो किसी भी चीज़ के लिए रोना-धोना बंद करो, टेंशन लेना बंद करो और पढाई में अपना पूरा ध्यान लगाओ.
धन्यवाद
तुम्हारा पथ-प्रदर्शक
धर्मेन्द्र कुमार
पुस्त्कायाध्यक्ष
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