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Prayas - February 2024

 

Year - 4                             Month - February 2024                                   Issue - 50

प्यारे बच्चों,

जब किसी स्पेस शटल को अंतरिक्ष के लिए लांच किया जाता है तो उसके लॉन्च के बाद अंतरिक्ष में कदम रखने में मात्र 10 मिनट का समय लग सकता है। लेकिन कोई नहीं जानता कि उसके 10 मिनट की उड़ान के लिए हो सकता है पिछले 10 बरस से भी ज्यादा समय से उसकी तैयारी की जा रही हो। 

इसके लिए दुनिया के best इंजीनियर्स, एस्ट्रोनॉट्स साइंटिस्ट और इनके अलावा भी बहुत सारे लोग दिन रात मेहनत करते हैं। भले ही शटल को gravity पार करने में 10 मिनट का समय लगे दुनिया की करोड़ों नजरें उसकी उड़ान पर होती है। 

इसको बनाने वाले लोगों को पता होता है कि अगर इस बार चूक गए तो बहुत भारी नुकसान हो सकता हैं। कई जाने जा सकती हैं। और तो और फिर शून्य से वही मेहनत स्टार्ट करनी पड़ सकती है। 

वह इस अंजाम को अच्छी तरह जानते हैं। उनके पास कोई ऑप्शन नहीं होता है। जब किसी रनर को 100 मीटर रनिंग का गेम जीतना होता है तो वह उसे जीतने के लिए उसके पहले की प्रैक्टिस सिर्फ 100 मीटर दौड़ के नहीं करता है। 

वह लंबी दूरी दोड़ता है। वह बहुत सारी अलग-अलग एक्सरसाइज करता है। अलग-अलग मौसम में दौड़ता है। थकने के बाद भी दौड़ता है। टूटने के बाद भी दौड़ता है। क्योंकि उसे पता है की वह इसके बिना विजेता नही बन पाएगा।

जब किसी को exam का topper बनना होता है, तो वह सिर्फ एक किताब नही पढ़ता है। वह बहुत सारी किताबें पढ़ता है।

एक मौसम में नहीं पढ़ता है। हर मौसम में पढ़ता है। पढ़ने का मतलब सिर्फ रट्टा मारना नहीं है। पढ़ने का मतलब है ज्ञान हासिल करना। नया सिखना। मन मे जिज्ञासा रखना और हर वक्त आँखों मे एक लक्ष्य रखना कि मैं करूंगा। मुझे करना ही है, मेरे पास और कोई रास्ता नहीं है। 

अब इसको किए बिना मेरी लाइफ का कोई मतलब नहीं है, मेरे पास कोई ऑप्शन नहीं है, मेरे पास कोई दूसरा रास्ता नहीं है।

जबकि तुम्हारे पास रास्ते हैं। तुम्हारे पास option है अपने time को बर्बाद करने का। मोबाइल पर खुद को व्यस्त रखने का, खुद के सपने खुद ही नष्ट करने का। 

बिना जरूरत rest करने का । उस rest को गहरी नींद में convert करने का, क्योंकि तुम्हें जिम्मेदारी का एहसास नहीं है। 

शटल वाले वैज्ञानिकों और इंजीनियरों को पता होता है कि उन पर जिम्मेदारी है। करोड़ों की उम्मीदें हैं। देश की बात है। 

जिम्मेदारियां तो तुम पर भी है, लेकिन फर्क यही है कि तुम्हें जिम्मेदारी का एहसास नहीं है। 

तुम पर जिम्मेदारी है अपनी जिंदगी बेहतर ढंग से जीने की। अपने आप को develop करने की और अपने आप को सक्षम बनाने की। लेकिन फिर भी तुम्हें इसका अहसास नही है। क्योंकि तुम खुद से मेहनत करने के लिए demand नही करते हो। 

तुम्हे बदलाव सिर्फ अपने सपनों में ही अच्छा लगता है, हकीकत में नहीं। वैज्ञानिकों के पास एक chance होता है। पर तुम्हारे पास chance की कोई कमी नहीं है। 

तुम उम्र भर कंपटीशन की तैयारी कर सकते हो, क्योंकि तुम्हारी सफलता की सच्ची उम्मीद करने वाली सिर्फ 8-10 आंखें ही हैं। जहां स्पेस शटल की सफलता को देखने के लिए करोड़ों आंखें होती है, वहीं पर तुम्हारी सफलता की सच्ची उम्मीद करने वाली सिर्फ 8-10 आंखें ही है। जिनमे चार आंखें तुम्हारे लाचार मां बाप की है। जिनकी आँखें तुम्हें हमेशा पढ़ता हुआ ही देखती है। जिनको कभी तुम्हारा behind the seen दिखता ही नहीं है। 

बाकी दो चार कोई खास इंसान और होंगे, जो तुम्हें सफल देखना चाहते हैं। पर इस जिम्मेदारी को तुम skip कर देते हो। उनमे से कोई कुछ बोले तो उनको झूठे प्रॉमिस कर देते हो। ज्यादा कोई बोले तो negative reaction दे देते हो।

जानते हो कि तुम एग्जाम में फेल भी हो गए तो भी पहले का पढ़ा हुआ तो तुम्हारे दिमाग में रहेगा ही। Space मिशन की तरह zero से शुरू नहीं करना।तुम जानते हो की fail होने से किसी की जान नहीं जाने वाली है। 

जिस दिन जिम्मेदारी का एहसास होगा ऊपर वाले से बोलोगे कि मुझे दिन के 100 घंटे चाहिए, मैं दिन में 100 घंटे मेहनत करना चाहता हूं और अब तुम्हारे लिए 20 घंटे मेहनत करना बाएं हाथ का खेल होगा। 

तुम्हें अपने लिए चांसेस की एक लिमिट तय करनी होगी की इस बार तो करना है इसे। तब तुम्हे एहसास होगा कि अगर तुम इस बार नहीं कर पाए तो तुम्हारा शटल क्रैश हो जाएगा। फिर कई साल मेहनत करनी होगी और zero से स्टार्ट करना होगा। 

कई लोगों का दिल टूटेगा, खुद को कोसते रहोगे कि वक्त था, किताबें थी, बस दिल और दिमाग जोड़ना बाकी था, जोड़ लेता तो आज इस 3 घंटे के exam का नतीजा पूरी दुनिया देखती। 

लेकिन इसके लिए तुम्हें runner की तरह 10 गुना ज्यादा मेहनत करनी होगी। स्पेस शटल की तरह एकदम एक्यूरेट प्लानिंग करनी होगी। तुम्हें वक्त की कदर करनी होगी। वक्त की कदर करोगे तो वह तुम्हारा लेवल उपर कर देगा।

तो अब देर किस बात की, रॉकेट वाला मोटिवेशन लाओ अपने अंदर, runner वाला जुनून लाओ अपने अंदर, topper वाली जिम्मेदारी लाओ अपने अंदर। और पूरी मेहनत करो और सफल बन जाओ।

जय हिंद जय भारत..

अगले महीने कुछ और लेकर आपके सामने फिर आऊंगा ।

धन्यवाद

आपका पथ-प्रदर्शक 

धर्मेन्द्र कुमार 

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